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उद्बोधन May 24, 2013

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आर्यावर्त भारतवर्ष शाक्यमुनि बुद्ध के धर्म - दर्शन सहित एशिया महाद्वीप के अधिकांश धर्म और दर्शन की परम्पराओं का उद्गम स्थल रहा है। यहाँ बहुत प्राचीन काल से आज तक सिद्धान्तों की दृष्टि से मूलभूत मतभेद वाले धर्मों और दर्शनों की परम्परायें विना किसी भेदभाव के सर्वधर्म समभाव के आचरण के साथ सह-अस्तित्व की रही हैं। विशेषकर, यह भारतवर्ष अहिंसा के सिद्धान्त एवं आचरण दोनों की उत्पत्ति एवं विकास के हजारों वर्षों का इतिहास वाला एक राष्ट्र रहा है। मेरे स्वयं स्थायी रूप से पिछले 54 वर्षों से अधिक समय से यहाँ रहने के कारण यह देश मेरे लिए दूसरी मातृभूमि है।

इस विशाल राष्ट्र में अनेक भाषायें प्रचलित हैं और उनमें से संस्कृत की निकटतम यह हिन्दी भाषा न केवल राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है अपितु भारत के मध्य और उत्तर के अनेक प्रान्तों की मातृभाषा भी है। विगत कुछ वर्षों से हिन्दीभाषी लोगों में सामान्यतः बौद्ध धर्म – दर्शन और विशेषकर तिब्बती पारम्पारिक बौद्ध वाङमय के अनुशीलन करने की जिज्ञासा में निरन्तर वृद्धि हो रही है। अतः मेरे नाम से प्रचलित वेबसाईट का आज वैशाख पूर्णिमा के पुनीत अवसर पर हिन्दी भाषा में शुभारंभ कर रहा हूँ। इससे पाठकों को लाभ होगा, ऐसी मेरी आशा है। जगत् कल्याण की शुभकामनाओं सहित।

बुद्धाब्दः 2556, वैशाख पूर्णिमा                                                                              शाक्य भिक्षु तेनजिन ज्ञाछो
ख्रीस्ताब्दः 2013 मई 25                                                                                      चौदहवें दलाई लामा  

  • सभी सामग्री सर्वाधिकार © परम पावन दलाई लामा के कार्यालय

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