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तिब्बत के आध्यात्मिक नेता का ताइवान श्रद्धालुओं के लिए प्रवचन प्रारंभ October 7, 2014

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धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश, भारत - ६ अक्टूबर २०१४ -(www.thetibetpost.com) - ताइवान बौद्ध श्रद्धालुओं के एक समूह के अनुरोध पर तिब्बत के परम पावन दलाई लामा ने ६२ देशों से आए श्रोताओं के लिए धर्मशाला के मुख्य मंदिर में नागर्जुन के मूलमध्यमकारिका पर चार दिवसीय प्रवचन के प्रथम दिन का प्रवचन प्रारंभ किया।
 
अक्टूबर ६ की प्रातः उल्लसित वातावरण के बीच, तिब्बत के आध्यात्मिक नेता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता ने एक संक्षिप्त किन्तु अंतर्दृष्टि निहित बौद्ध धर्म के परिचय के साथ प्रवचन का प्रारंभ किया। मुख्य तिब्बती मंदिर, जिसमें ५००० से भी अधिक जनमानस एकत्रित था, रंग बिरंगी पोशाक पहने सभी आयु के तिब्बतियों, साथ ही विदेशी पर्यटकों, भारतीयों और ८०० ताइवान बौद्धों के एक भक्त समूह से खचाखच भरा था।


उत्सुकता के साथ अपने अतिथियों का स्वागत करते हुए परम पावन १४वें दलाई लामा के प्रति आध्यात्मिक सभा मुस्कान और श्रद्धा भाव से आकर्षित थी। बौद्ध शिक्षाओं के अपने गहन ज्ञान, विशेषकर भारत की महान नालंदा परंपरा, जो ७वीं शताब्दी में चीन में फैली।

"तिब्बती बौद्ध धर्म विशुद्ध नालंदा परंपरा है, जो साधारणतया चार प्रमुख संप्रदायों अथवा विचार धाराओं में विभाजित है। ञिंगमा, सक्या, काग्यू और गेलुग। अनुष्ठान तथा शिक्षा देने की प्रक्रिया में छोटे मोटे अंतर हो सकते हैं। परन्तु इन सभी संप्रदायों का मूल सार एक समान ही है ", परम पावन दलाई लामा ने कहा ।

"अपने ही संप्रदाय और अनुष्ठानों में अधिक उलझे रहने के कारण हम यदा कदा अपने अभ्यास के आम सार को विस्मरित कर देते हैं। परिणामस्वरूप हम अपने अभ्यासों में बहुत अधिक अंतर पाते। इसलिए यदि हम सभी नालंदा परम्परा पर ध्यान केन्द्रित करें, जो कि तिब्बती बौद्ध धर्म का मूल है, तो हमारे साझे लक्ष्य और अधिक एकीकृत हो जाएँगे", परम पावन ने कहा।

परम पावन दलाई लामा ने ताइवान श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे बौद्ध अभ्यासों की शाखाओं से चिपके हुए न रहकर बौद्ध धर्म के मूल की अपनी समझ को गहन करें।

"हम सभी नागार्जुन के अनुयायी हैं। उस अर्थ में हम सब एक हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म के विभिन्न संप्रदायों में भी यद्यपि उसकी शाखाओं में कई साधारण अंतर हो सकते हैं, पर नींव समान है। अतः एक गहरी और विशुद्ध समझ की प्राप्ति के लिए हमें सिद्धांतों पर अधिक ध्यान देना चाहिए।"

" हम माध्यमक ग्रंथों पर प्रवचन प्रारंभ करने वाले हैं। तिब्बत में बौद्ध धर्म के फलने फूलने के पूर्व ही माध्यमक ग्रंथ चीनी भाषा में उपलब्ध थे। यह एक ऐसा ग्रंथ है जो चीन में पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है। वास्तव में चीनी नागार्जुन के वरिष्ठ छात्र हैं और तिब्बती कनिष्ठ छात्र। परन्तु परिस्थितियों के कारण, आज कनिष्ठ छात्र अधिक विश्वसनीय और अधिक योग्य हैं ", परम पावन ने कहा।

विश्व के सभी प्रमुख धर्मों के आम सार पर बोलते हुए परम पावन ने कहा कि अंततः सभी प्रमुख धर्म करुणा, सहिष्णुता, संतोष, और आत्म अनुशासन के बारे में बात करते हैं, ".. परन्तु इनमें से अधिकांश धर्म अपने विश्वासों के कठोर पालन का आदेश देते हैं। बुद्ध की शिक्षा के संबंध में ऐसा है , कि यह हमें कारण और तर्क के आधार पर हमारे अपने विचार बनाने की अनुमति देता है। "

चार दिवसीय शिक्षा की श्रृंखला में, यह दूसरा, अक्टूबर ७, २०१४ को धर्मशाला के मुख्य मंदिर में जारी रहेगा। इसके सीधे वेबप्रसारण के बाद अंग्रेजी, चीनी, वियतनामी और रूसी भाषा में अनुवाद Http://www.dalailama.com/liveweb: पर उपलब्ध होंगे। 

 

  • सभी सामग्री सर्वाधिकार © परम पावन दलाई लामा के कार्यालय

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