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भ्रष्टाचार हिंसा का एक रूप है, जो भारत की समृद्ध मूल्य व्यवस्था को नष्ट कर रहा है: दलाई लामा March 18, 2014

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शिमला, हि. प्र., भारत (द्वारा मोहन वर्मा, हिमवाणी) हिमाचल प्रदेश, भारत, १८ मार्च २०१४ -  तिब्बत के आध्यात्मिक नेता १४वें दलाई लामा, जो अपनी दो दिवसीय यात्रा पर कल दोपहर शिमला पहुँचे, ने कहा कि भ्रष्टाचार हिंसा का एक रूप है, जो तेजी से इस देश की समृद्ध मूल्य व्यवस्था को नष्ट कर रहा है।

छोटा शिमला के तिब्बती केंद्रीय स्कूल के समारोह के अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत में भ्रष्टाचार अहिंसा की समृद्ध परंपरा को क्षति पहुँचा रहा है।


जब मीडिया द्वारा उनसे इस देश को पीड़ित करने वाले भ्रष्टाचार के मुद्दे पर प्रश्न पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह सदियों प्राचीन भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्यों के विपरीत है और हिंसा के समान है। यह एक बड़ी सामाजिक और सांस्कृतिक समस्या है।

"यह एक सांस्कृतिक, सामाजिक समस्या ... वास्तव में भ्रष्टाचार एक प्रकार की हिंसा है। भारत की परम्परा हजार साल पुरानी है - अर्थ व्यवस्था के क्षेत्र में आप को भ्रष्टाचार रहित रहना है, भ्रष्टाचार हिंसा है और भारत की हजारों वर्षों की समृद्ध संस्कृति और भारतीय नैतिक मूल्यों के विरुद्ध है" श्री लामा ने उत्तर दिया।

तिब्बत की वर्तमान स्थिति व्याप्त पर उन्होंने कहा कि आत्मदाह की बढ़ती घटनाएँ दुखद हैं। "यह बहुत दुखद है पर यह एक राजनैतिक प्रश्न है, चूँकि मैं (वह) २०११ से तिब्बत के राजनीतिक मामलों से पूरी तरह सेवानिवृत्त हो चुका हूँ, वे इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। "

आत्मदाह पर अपनी व्यक्तिगत राय देते हुए उन्होंने ज़ोर दिया कि समस्या के लक्षणों को देखा जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि चीनी अधिकारियों को ऐसी घटनाओं की गहन जाँच करना चाहिए और इन दुखद घटनाओं के कारणों को देखा जाना चाहिए।

दलाई लामा जो दो दिन की यात्रा पर थे, उन्होंने शिमला शहर के जोनंग विहार की भी यात्रा की तथा दोर्जे डाग विहार के मंदिर का उद्घाटन किया, जिसके बाद उन्होंने केन्द्रीय तिब्बती विद्यालय में प्रवचन दिया।
 
जोनंग विहार की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने भिक्षुओं से आग्रह किया कि वह संपूर्ण रूप से भिक्षु बनने के िलए बौद्ध धर्म की सभी परम्पराओं के सभी साहित्य का अध्ययन करें। उन्होंने निर्वासन के तिब्बती संसद में प्रतिनिधित्व के लिए जोनंग परम्परा की माँग का समर्थन भी किया ।


इस मुद्दे पर एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा,  "यह संसद पर निर्भर है और मैं पहले से ही कई वर्षों से पूछ चुका हूँ, मैं मानता हूँ कि यह उनका अधिकार है क्योंकि यह तिब्बती बौद्ध धर्म की प्रमुख परंपराओं में से एक है।"

परम पावन दलाई लामा १९ मार्च की प्रातः हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करेंगे। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और राज्यपाल उर्मिला सिंह सहित शीर्ष भारतीय सरकारी अधिकारी, इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।

यह स्मरणीय है कि जब प्रधान मंत्री डा. लोबसंग सांगे ने पिछले नवंबर को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का दौरा किया, तो कुलपति प्रो डी एन बाजपेयी ने उनसे परम पावन दलाई लामा द्वारा विश्वविद्यालय की एक यात्रा के आयोजन का अनुरोध किया था।

परम पावन शिमला से नई दिल्ली रवाना होेंगे, जहाँ वह २० मार्च को महिलाओं के लेडी श्रीराम कॉलेज में 'सफलता, नैतिकता और सुख' पर एक व्याख्यान देंगे।

यहाँ तिब्बती आध्यात्मिक प्रमुख का स्वागत करते हुए अत्यंत प्रसन्न हैं। इस शहर में संजौली उपनगर में एक विहार है, जो १९६२ में गेलुग परंपरा के लामा जिनपा द्वारा स्थापित किया गया था और प्रारंभ में यह सांज्ञे छोलिंग नाम से जाना जाता था।

१९९० में लामा जिनपा ने जन्मदिन के उपहार के रूप में दलाई लामा को यह विहार भेंट में अर्पित की। २० सितंबर को दलाई लामा ने खलखा जेचुन दम्पा को जोनंग परम्परा के ७२वें सिंहासन धारक महान विद्वान जेचुन तारानाथ के पुनर्जन्म के रूप में मान्यता दी।

उन्हें जोनंग परम्परा के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया और विहार का पुनः नामकरण जोनंग तकतेन फुनछोग छोलिंग (जिसका लोकप्रिय नाम जोनंग विहार) के रूप में हुआ। आज जोनंग विहार में परम पावन की यह तीसरी यात्रा थी और भिक्षु उनका स्वागत करने को तैयार हैं। 

  • सभी सामग्री सर्वाधिकार © परम पावन दलाई लामा के कार्यालय

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