मेन्यू
खोज
सामाजिक
भाषा
<span>सीधे</span> वेब प्रसारण
  • होम
  • दलाई लामा
  • कार्यक्रम
  • समाचार
  • तस्वीरों में
  • वीडियो
  • समाचार

दिस्कित से सुमुर के लिए प्रस्थान July 14, 2018

शेयर

सुमुर, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, भारत, दिस्कित विहार के भिक्षु तथा स्थानीय लोगों के साथ ठिकसे रिनपोछे और केलखंग रिनपोछे आज प्रातः परम पावन दलाई लामा को विदा देने के लिए एकत्रित हुए। वे सुमुर में समतेनलिंग विहार जा रहे थे, जो नुबरा नदी के ऊपर पहाड़ी पर दिस्कित से दिखाई देता है।

लद्दाखी पोशाक में स्थानीय महिलाएँ समतेनलिंग विहार में परम पावन दलाई लामा की प्रतीक्षा करती हुईं, सुमुर, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, भारत, जुलाई १४, २०१८ चित्र/तेनज़िन छोजोर

जब श्याक नदी पार करने के बाद गाड़ियां गांवों से होकर गुज़रीं तो मार्ग सूखे पत्थर की दीवारों से घिरा हुआ था जिस पर जानवरों को दूर रखने के लिए कांटों के ढेर थे। लोग अपने घरों के दरवाज़ों पर परम पावन के वहाँ से गुज़रते समय उनका स्वागत करने के लिए अपने सुन्दर वस्त्रों में जमा हुए थे, उनके चेहरों पर मुस्कान और श्वेत स्कार्फ और अंजलिबद्ध हाथों में पुष्प तथ धूप। शुभचिंतक अधिकतर बौद्ध थे, लेकिन यहां वहां मुसलमान परिवार भी परम्परागत तरीके से परम पावन का अभिनन्दन करने आए थे। सुमुर गांव के ऊपर विहार की ओर सड़क के मुड़ने से पहले, स्कूल वर्दी में लमडोन स्कूल के विद्यार्थी परम पावन की प्रशंसा में एक गीत गाते हुए मार्ग पर पंक्तिबद्ध थे। 

भिक्षुगण पारम्परिक वाद्य वादन के साथ समतेनलिंग विहार में परम पावन दलाईलामा का स्वागत करते हुए, सुमुर, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, भारत, जुलाई १४, २०१८ चित्र/तेनज़िन छोजोर

विहार में उनके निवास के द्वार पर उपाध्याय गदेन ठिपा रिज़ोंग रिनपोछे और विहार के संस्थापक के अवतार तथा मालिक छुलठिम ञिमा ने परम पावन का स्वागत किया। उनके बैठक में अनुरक्षण किए जाने के उपरांत परम पावन ने प्रबुद्ध सत्वों की प्रतिमा के समक्ष श्रद्धार्पण किया, खिड़की से समूची घाटी को देखा तथा रिजोंग रिनपोछे, ठिकसे रिनपोठे और स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों के साथ बैठे।

परम पावन दलाई लामा के समतेनलिंग विहार आगमन पर गदेन ठिसूर रिज़ोंग रिनपोछे उनका अभिनन्दन करते हुए, सुमुर, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, भारत, जुलाई १४, २०१८ चित्र/तेनज़िन छोजोर

जब चाय व मीठे चावल परोसे जा रहे थे, परम पावन ने रिजोंग रिनपोछे से कहा कि उनकी उम्र के कारण कभी-कभी थकावट उन्हें अपनी व्यस्तताओं को कम करने के लिए प्रवृत करती है। परन्तु वह यहां आने का अपना वादा रखने के लिए दृढ़ संकल्पित थे, क्योंकि रिनपोछे पूर्व गदेन पीठ धारक और जिनसे उन्हें गहन शिक्षा मिली है, ने उन्हें आमंत्रित किया था।

परम पावन दलाई लामा समतेनलिंग विहार आगमन पर स्वागत समारोह के दौरान गदेन ठिसूर रिज़ोंग रिनपोछे, वरिष्ठ भिक्षुगण तथा विशिष्ट गणमान्य व्यक्तियों के साथ बातें करते हुए, सुमुर, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, भारत, जुलाई १४, २०१८ चित्र/जेरेमी रसेल

समतेनलिंग में कल एक ग्रीष्मकालीन शास्त्रार्थ सत्र के उद्घाटन की संभावना से प्रेरित, परम पावन ने उनके बड़े होते समय तिब्बत में विद्वत्ता की उच्च गुणवत्ता के बारे में स्मरण किया। उन्होंने मंगोलिया के ङोडुब छोगञी का स्मरण किया जिन्होंने मध्यमक अध्ययनों में उनकी रूचि को प्रेरित किया था और उन्हें बताया कि अपनी गेशे परीक्षा की प्रातः उन्होंने अनुभव किया कि एक अन्य प्रखर विद्वान सोगपो छोडग के साथ प्रमाणवार्तिककारिका पर शास्त्रार्थ के दौरान उन्होंने अपना प्रखरता खो दिया है। मध्याह्न में उनका आत्मविश्वास लौट आया जब मध्यमक चर्चाओं की बात आई और अंततः उन्होंने ल्हारम्पा गेशे के रूप में उच्चतम स्थान पर स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

परम पावन ने टिप्पणी की कि जहाँ उन्होंने सुना है कि पूर्वी तिब्बत में खम और अमदो में अच्छे विद्वान हैं, पर दमन के कारण मध्य तिब्बत में सामान्य गिरावट आई है। परन्तु निर्वासन में जो प्राप्त हुआ है, जहाँ आनुष्ठानिक भिक्षु विहारों और भिक्षुणी विहारों में अध्ययन के गहन कार्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं उससे वे आश्वस्त हैं कि एक दिन तिब्बती पुनः एक होंगे और जो विद्वत्ता पहले थी उससे कहीं अधिक ऊपर उठेंगे।

स्पष्ट रूप से उत्साह से भरे परम पावन ने दिनांत किया।

  • सभी सामग्री सर्वाधिकार © परम पावन दलाई लामा के कार्यालय

शेयर

  • फ़ेसबुक
  • ट्विटर
  • ईमेल
कॉपी

सामाजिक चैनल

  • फ़ेसबुक
  • ट्विटर
  • इंस्टाग्राम
  • यूट्यूब

भाषा चुनें

  • चीनी
  • भोट भाषा
  • अंग्रेज़ी
  • जापानी
  • Deutsch
  • Italiano
  • मंगोलियायी
  • रूसी
  • Français
  • Tiếng Việt
  • स्पेनिश

वेब साइय खोजें

लोकप्रिय खोज

  • कार्यक्रम
  • जीवनी
  • पुरस्कार