परम पावन 14 वें दलाई लामा
मेन्यू
खोज
सामाजिक
भाषा
  • दलाई लामा
  • कार्यक्रम
  • तस्वीरों में
  • वीडियो
हिंदी
परम पावन 14 वें दलाई लामा
  • ट्विटर
  • फ़ेसबुक
  • इंस्टाग्राम
  • यूट्यूब
सीधे वेब प्रसारण
  • होम
  • दलाई लामा
  • कार्यक्रम
  • समाचार
  • तस्वीरों में
  • वीडियो
  • अधिक
सन्देश
  • करुणा
  • विश्व शांति
  • पर्यावरण
  • धार्मिक सद्भाव
  • बौद्ध धर्म
  • सेवानिवृत्ति और पुनर्जन्
  • प्रतिलिपि एवं साक्षात्कार
प्रवचन
  • भारत में प्रवचनों में भाग लेने के लिए व्यावहारिक सलाह
  • चित्त शोधन
  • सत्य के शब्द
  • कालचक्र शिक्षण का परिचय
कार्यालय
  • सार्वजनिक दर्शन
  • निजी/व्यक्तिगत दर्शन
  • मीडिया साक्षात्कार
  • निमंत्रण
  • सम्पर्क
  • दलाई लामा न्यास
पुस्तकें
  • अवलोकितेश्वर ग्रंथमाला 7 - आनन्द की ओर
  • अवलोकितेश्वर ग्रंथ माला 6 - आचार्य शांतिदेव कृत बोधिचर्यावतार
  • आज़ाद शरणार्थी
  • जीवन जीने की कला
  • दैनिक जीवन में ध्यान - साधना का विकास
  • क्रोधोपचार
सभी पुस्तकें देखें
  • समाचार

मीटिंग और एक सार्वजनिक व्याख्यान सुख का मार्ग पर ऑकलैंड शांति के शहर में १४/जून/२०१३

शेयर

ऑकलैंड, न्यूज़ीलैंड 12 जून 2013 - आज जब तड़के प्रातः परम पावन दलाई लामा हवाई जहाज़ से ड्यूनडिन जाने हेतु निकले तब अँधेरा और ठंड थी। परन्तु ऑकलैंड पहुँचने पर हवाई अड्डे से शहर का सफर गर्म और धूप से खिला था, शीत की गहराइयों से अधिक पतझड की सुबह के समान ।

वे सीधे पीस फाउन्डेशन, जिसने ऑकलैंड, न्यूज़ीलैंड के सबसे बड़े शहर को आणविक मुक्त शांति का शहर घोषित कर दिया है, मीटिंग के लिए गए । उप राष्ट्रपति युवोने डंकन ने उनका परिचय उस छोटे समुदाय से कराया, जिनमें स्कूल के बच्चे भी शामिल थे। उन्होंने फाउंडेशन की प्रशंसा में और शांति की दिशा में उसके प्रयासों की सराहना में कोई समय नहीं गँवाया। उन्होंने अपने जन्म 1935 से हो रहे युद्ध और हिंसा का संक्षेपीकरण करते हुए इस आशावादी स्वर में अंत किया कि आज कई स्थानों पर लोग दिखा रहे हैं कि वे हिंसा से तंग आ चुके हैं । उन्होंने कहा “वैचारिक दृष्टिकोण से शांति का नगर अनोखा है, परन्तु मात्र घोषणा पर्याप्त नहीं है, हम सभी को आंतरिक शांति के परिष्कार के लिए कार्य करना होगा, जो कि समस्त विश्व में


शांति लाने में सहायक होगा। संघर्ष का स्रोत अकसर लोगों को ‘वे’ और ‘हम’ में विभाजित कर देता है। हमें युवा वर्ग को इस समझ में शिक्षित करना होगा कि हिंसा का प्रयोग कभी समस्याओं का समाधान नहीं करता; संघर्ष का सही समाधान संवाद है। वही आधार है, जिस पर काम कर हम इसे शांति की शताब्दी बना सकते हैं।”

पीस फाउंडेशन से वे टी वी एन ज़ेड वन पर साक्षात्कार के लिए गए, जिन्होंने उनसे इनकी तिब्बत की आशाओं पर प्रश्न किया। उन्होंने कहा कि वे चीन के नए प्रशासन से आशा करते हैं कि वे एक अधिक यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाएँगे, यह सुनिश्चित करने के लिए कि चीन का स्वप्न एक भयानक स्वप्न न बन जाए। उन्होंने पुनः पुष्टि की कि तिब्बतियों की उनकी अपनी भाषा और बौद्ध संस्कृति है और वे तिब्बत के नाज़ुक पर्यावरण के साथ स्वतंत्रता की माँग न करते हुए सच्ची स्वायत्तता द्वारा उसे संरक्षित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि चीनी जनता और बुद्धिजीवियों में इस मध्यम मार्ग दृष्टिकोण के प्रति बढ़ता समर्थन है, जो इसके बारे में जानते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वे तिब्बत की धरती पर पैर रखेंगे, उन्होंने कहा “हाँ।”

दोपहर को सुरम्य सिविक थियेटर में उन्होंने 2300 श्रोताओं से सुख के मार्ग पर बात की। “भाइयों और बहनों, एक बार फिर मुझे जनता से मिलने का अवसर मिला है, जिसे मैं लाभदायक मानता हूँ, क्योंकि मेरी पहली प्रतिबद्धता मनुष्यों के हित के लिए मानवीय मूल्यों का विकास है। मैं आज जीवित 7 अरबों में से एक हूँ और मेरा यह मानना है कि हम सब मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से एक समान हैं। और एक बौद्ध भिक्षु होने के नाते मैं गंभीर रूप से अंतर्धर्मीय समन्वय को लेकर भी चिंतित हूँ। इन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में कौन उत्तरदायित्व लेगा, हमारे नेता या सरकारें नहीं, पर जनता के व्यक्तिगत सदस्य।”


उन्होंने समझाया कि हम सब को अपनी माओं से प्रेम का बीज मिलता है, परन्तु हमारे भौतिकवादी समाज में जिसकी शिक्षा प्रणाली अधिकांशतः भौतिक विकास पर केन्द्रित है, स्वाभाविक मानवीय मूल्य, जो उससे विकसित हो सकते हैं वे सुप्तावस्था में रहते हैं। उन्होंने कहा कि अंततः जनता के व्यक्तिगत सदस्य ही हैं जो इसे परिवर्तित करने में प्रभावशाली हो सकते हैं, इसी कारण उन्हें उनसे बात करना अत्यंत अच्छा लगता है। उन्होंने इस बात पर बात की कि हमारी मानवीय बुद्धि अनोखी उपलब्धियों की प्राप्ति में कितनी परिष्कृत है, पर साथ ही यह बहुत अधिक दबाव और बेचैनी का कारण भी बन सकती है।

उन्होंने सुझाव दिया कि भय तथा संदेह को मन में पालने के स्थान पर हमें दूसरे लोगों को ‘वे’ नहीं पर ‘हम’ के रूप में देखना चाहिए। इस तरह जब हम दूसरों के प्रति ध्यान तथा चिन्ता विकसित करते हैं तो फिर धमकाने, शोषण या धोखे के लिए कोई स्थान नहीं रह जाता। पर दूसरी ओर जब हम अविश्वसनीयता की भावना को पालते हैं, तो जब हमें सहायता की आवश्यकता होगी तो नहीं मिलेगी, तथा हम एकाकी और अकेले पड़ जाएँगे।

“हमें इस बात की पहचान करनी है कि दूसरे भी हमारी ही तरह हैं। वे भी सुखी जीवन जीना चाहते हैं और उन्हें इसका अधिकार है। हमें इस पहचान को अपने सामान्य ज्ञान, हमारे सामान्य अनुभव और वैज्ञानिक खोजों से पहचानना है। उदाहरण के लिए दूसरों के प्रति ध्यान और चिंता हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारती है, जबकि लोग जो बहुत अधिक आत्म केन्द्रितता के शब्द जैसे ‘मैं’, ‘मेरा’ का प्रयोग अकसर करते हैं, उन्हें हृदय रोग का खतरा अधिक होता है।”

परम पावन जी ने एक कैथलिक भिक्षु की कहानी को पुनः दोहराया, जिनसे वे बारसेलोना में मिले थे, जिसने पहाड़ों में एक

सन्यासी के रूप में अत्यंत सादा जीवन जीते हुए पाँच वर्ष बिताया था। जब उन्होंने उस भिक्षु से पूछा कि वह किस पर ध्यान कर रहे थे, तब भिक्षु ने उत्तर दिया ‘प्रेम’ और परम पावन जी को उसकी आँखों में वह चमक दिखाई दी जो उसके चित्त की शांति की गहराइयों को प्रकट कर रही थी।

उन्होंने सौहार्दता की प्रशंसा सुख के स्रोत के रूप में और एक अर्थवान जीवन जीने के रूप में की और कहा कि जब हम युवा होते हैं तो मृत्यु कहीं दूर दिखाई देती है। परन्तु वह निश्चित रूप से आएगी और एक सार्थक जीवन जीना उसके लिए तैयार होने का एक मार्ग है।

श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर देते हुए परम पावन जी ने पुनः दोहराया कि करुणा और दूसरों के प्रति चिन्ता मानवीय अस्तित्व की कुंजी है। उन्होंने टिप्पणी की कि ऐसे लोग जिनमें धर्म के प्रति कोई रुचि नहीं कभी कभी धैर्य और करुणा को अनदेखा कर देते हैं, जिन्हें वे धार्मिक अभ्यास से जोड़ते हैं। बल्कि उन्होंने यह कहा कि वे उन सभी के लिए सार्थक हैं जो एक सुखी जीवन जीना चाहता है। उन्होंने सुझाव दिया कि हम धर्म निरपेक्ष शिक्षा के माध्यम से धर्म निरपेक्षता को बढ़ावा देकर ऐसे मूल्यों की जानकारी दे सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि धर्म निरपेक्ष से उनका अर्थ है सभी धर्मों के प्रति पक्षपात रहित आदर, और उनके लिए भी जिनका कोई धर्म नहीं है। आज के विश्व के लिए यह प्रासंगिक है।

एक अंतिम प्रश्न पूछा गया कि क्या वे साधारण लोगों के समान गलतियाँ करते हैं और एक क्षण के चिंतन के बाद उन्होंने उत्तर दिया कि जब वे युवा थे और उनके पास पढ़ने का अवसर था, तो वे उसे अच्छी प्रकार से काम में लाने में असफल रहे। उन्हें लगता है कि वे उस समय आलसी थे और यह एक गलती थी क्योंकि एक बार समय चला गया तो आप उसे कभी लौटा नहीं सकते।

रात में आराम से पहले वे न्यूज़ीलैंड में रहने वाले तिब्बती और मंगोलिया समुदाय और चीनी तिब्बती मैत्री वर्ग से मिले, जिसके बाद न्यूज़ीलैंड के तिब्बती मैत्री वर्ग और तिब्बती बच्चों के राहत सोसाइटी  के सदस्यों से मिले, जिन्होंने एक लम्बे समय से भारत के तिब्बती बच्चों के स्कूलों को सहायता दी है।

कल प्रातः तड़के ही परम पावन जी एक संक्षिप्त परन्तु सफल यात्रा के बाद न्यूज़ीलैंड से सिडनी, ऑस्ट्रेलिया के लिए उड़ान भरेंगे जहाँ वे बौद्ध शिक्षाओं पर प्रवचन और कई सार्वजनिक व्याख्यान देंगे।  

  • फ़ेसबुक
  • ट्विटर
  • इंस्टाग्राम
  • यूट्यूब
  • सभी सामग्री सर्वाधिकार © परम पावन दलाई लामा के कार्यालय

शेयर

  • फ़ेसबुक
  • ट्विटर
  • ईमेल
कॉपी

भाषा चुनें

  • चीनी
  • भोट भाषा
  • अंग्रेज़ी
  • जापानी
  • Italiano
  • Deutsch
  • मंगोलियायी
  • रूसी
  • Français
  • Tiếng Việt
  • स्पेनिश

सामाजिक चैनल

  • फ़ेसबुक
  • ट्विटर
  • इंस्टाग्राम
  • यूट्यूब

भाषा चुनें

  • चीनी
  • भोट भाषा
  • अंग्रेज़ी
  • जापानी
  • Deutsch
  • Italiano
  • मंगोलियायी
  • रूसी
  • Français
  • Tiếng Việt
  • स्पेनिश

वेब साइय खोजें

लोकप्रिय खोज

  • कार्यक्रम
  • जीवनी
  • पुरस्कार
  • होमपेज
  • दलाई लामा
    • संक्षिप्त जीवनी
      • परमपावन के जीवन की चार प्रमुख प्रतिबद्धताएं
      • एक संक्षिप्त जीवनी
      • जन्म से निर्वासन तक
      • अवकाश ग्रहण
        • परम पावन दलाई लामा का तिब्बती राष्ट्रीय क्रांति दिवस की ५२ वीं वर्षगांठ पर वक्तव्य
        • चौदहवीं सभा के सदस्यों के लिए
        • सेवानिवृत्ति टिप्पणी
      • पुनर्जन्म
      • नियमित दिनचर्या
      • प्रश्न और उत्तर
    • घटनाएँ एवं पुरस्कार
      • घटनाओं का कालक्रम
      • पुरस्कार एवं सम्मान २००० – वर्तमान तक
        • पुरस्कार एवं सम्मान १९५७ – १९९९
      • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट २०११ से वर्तमान तक
        • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट २००० – २००४
        • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट १९९० – १९९९
        • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट १९५४ – १९८९
        • यात्राएँ २०१० से वर्तमान तक
        • यात्राएँ २००० – २००९
        • यात्राएँ १९९० – १९९९
        • यात्राएँ १९८० - १९८९
        • यात्राएँ १९५९ - १९७९
  • कार्यक्रम
  • समाचार
    • 2025 पुरालेख
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2024 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2023 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2022 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2021 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2020 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2019 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2018 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2017 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2016 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2015 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2014 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2013 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2012 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2011 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2010 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2009 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2008 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2007 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2006 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2005 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
  • तस्वीरों में
  • वीडियो
  • सन्देश
  • प्रवचन
    • भारत में प्रवचनों में भाग लेने के लिए व्यावहारिक सलाह
    • चित्त शोधन
      • चित्त शोधन पद १
      • चित्त शोधन पद २
      • चित्त शोधन पद ३
      • चित्त शोधन पद : ४
      • चित्त् शोधन पद ५ और ६
      • चित्त शोधन पद : ७
      • चित्त शोधन: पद ८
      • प्रबुद्धता के लिए चित्तोत्पाद
    • सत्य के शब्द
    • कालचक्र शिक्षण का परिचय
  • कार्यालय
    • सार्वजनिक दर्शन
    • निजी/व्यक्तिगत दर्शन
    • मीडिया साक्षात्कार
    • निमंत्रण
    • सम्पर्क
    • दलाई लामा न्यास
  • किताबें
  • सीधे वेब प्रसारण