परम पावन 14 वें दलाई लामा
मेन्यू
खोज
सामाजिक
भाषा
  • दलाई लामा
  • कार्यक्रम
  • तस्वीरों में
  • वीडियो
हिंदी
परम पावन 14 वें दलाई लामा
  • ट्विटर
  • फ़ेसबुक
  • इंस्टाग्राम
  • यूट्यूब
सीधे वेब प्रसारण
  • होम
  • दलाई लामा
  • कार्यक्रम
  • समाचार
  • तस्वीरों में
  • वीडियो
  • अधिक
सन्देश
  • करुणा
  • विश्व शांति
  • पर्यावरण
  • धार्मिक सद्भाव
  • बौद्ध धर्म
  • सेवानिवृत्ति और पुनर्जन्
  • प्रतिलिपि एवं साक्षात्कार
प्रवचन
  • भारत में प्रवचनों में भाग लेने के लिए व्यावहारिक सलाह
  • चित्त शोधन
  • सत्य के शब्द
  • कालचक्र शिक्षण का परिचय
कार्यालय
  • सार्वजनिक दर्शन
  • निजी/व्यक्तिगत दर्शन
  • मीडिया साक्षात्कार
  • निमंत्रण
  • सम्पर्क
  • दलाई लामा न्यास
पुस्तकें
  • अवलोकितेश्वर ग्रंथमाला 7 - आनन्द की ओर
  • अवलोकितेश्वर ग्रंथ माला 6 - आचार्य शांतिदेव कृत बोधिचर्यावतार
  • आज़ाद शरणार्थी
  • जीवन जीने की कला
  • दैनिक जीवन में ध्यान - साधना का विकास
  • क्रोधोपचार
सभी पुस्तकें देखें
  • समाचार

युवा चित्तों का सम्मेलन लोव्स एंड फिशस फ्री रेस्तरॉ और वेस्टमीड़ अस्पताल का दौरा १७/जून/२०१३

शेयर

सिडनी, ऑस्ट्रेलिया, जून 17, 2013 - आज प्रातः बिल्डिंग के चक्कर लगाकर परम पावन दलाई लामा की गाड़ी शीघ्र ही उनके होटल से सिडनी टाउन हॉल तक युवा चित्तों (यंग माइंड्स कॉनफरेंस) के सत्र में भाग लेने पहुँची, जो कि आज के युवाओं के समक्ष उपस्थित समस्याओं की खोज करती रोमांचक संगोष्ठी है। इस संगोष्ठी का नारा इस स्थान के सभी जगहों पर लाल और सफेद रंग से जगमगाता लिखा थाः सहृदयता, ठंडा दिमाग, उज्ज्वल भविष्य। 1200 से अधिक श्रोताओ के समक्ष हो रहे इस प्रातः की चर्चा का मुख्य विषय था ‘हम किस तरह एक अच्छे व्यक्ति का विकास कर सकते हैं?’

एक बार परम पावन तथा पेनल के उनके अन्य साथियों कार्ला रिनाल्डी, डेबोराह हारकोर्ट और यासमिन आबदेल मेगीड ने मंच पर अपना स्थान ग्रहण किया तब संचालक साइमन लोंगस्टाफ ने परम पावन के समक्ष यह प्रश्न रखा ‘हम किस तरह एक अच्छे व्यक्ति का विकास कर सकते हैं?‘

परम पावन ने उत्तर दिया “एक अच्छे व्यक्ति का मापदंड कि आप में चित्त की शांति है अथवा नहीं,” कोई बहुत धनी, सफल, बहुत पढ़ा लिखा, नेतृत्व की स्थिति में हो सकते हैं, पर यदि उनमें आंतरिक शांति न हो, तो वे सुखी नहीं हो सकते।


“मेरी माँ एक उदाहरण हैं, एक अनपढ़ किसान महिला,  पर जो असाधारण रूप से सहृदय थी। उन्होंने अपने आप को अपने बच्चों की देख - रेख में लगा दिया, पर साथ ही दूसरों का भी ध्यान रखा। मुझे चीन के एक अकाल का समय याद है, जब भूख से मर रहे चीनी उत्तर पूर्वी तिब्बत में घुस आए जहाँ हम रहते थे और जो उस समय चीनियों के अधिकार क्षेत्र में था। एक समय एक दम्पत्ति हमारे दरवाजे पर अपने मरे बच्चे के शरीर को लिए खाने की भीख माँगते आए। मेरी माँ रो पड़ी और उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि वे उस बच्चे को गाड़ने में उनकी सहायता करेगी, पर वे बोले कि उनका इरादा उसे खाने का था। मेरी माँ ने उन्हें समझाया कि वे ऐसा न करें और जितना भोजन उन्हें मिल सकता था उन्होंने दिया। वे दृढ़ भाव से दयालु थी और हम,  उनके बच्चों ने उन्हें कभी क्रोधित नहीं देखा।”

यह पूछे जाने पर कि क्या बच्चे इस संसार में शांत चित्त से आते हैं या फिर बाद का विकास है, परम पावन ने कहा कि बच्चों का जीवन उनकी माँ की देख – रेख पर निर्भर करता है इसलिए माँ और बच्चे के बीच एक जबरदस्त संबध गढ़ा जाता है। दूसरों की देख - रेख करने के लिए, हमें उन्हें प्रेम दिखाने की आवश्यकती पड़ती है। यहाँ तक कि जानवर और पक्षी भी अपने नन्हों की रक्षा के लिए बचाव नीतियों में लगे रहते हैं, जो कि एक जैविक प्रतिक्रिया है। इसका धर्म या नैतिकता से कुछ लेना देना नहीं है।

“हमारे समाज का दृष्टिकोण इतना भौतिकवादी हो गया है कि वहाँ स्नेह का कोई स्थान ही दिखाई नहीं देता, यह पानी मेरी कितनी ही प्यास क्यों न बुझा ले, पर इसमें प्रेम का कोई भाव दिखाई नहीं देता। जैसे हम बड़े होते हैं तो इन सकारात्मक मूल्यों की उपेक्षा होने लगती है और वे सुप्तावस्था में रह जाते हैं जबकि हम भौतिक विकास के पीछे भागते हैं।”


परम पावन ने समझाया कि दो विभिन्न प्रकार की प्रतिस्पर्धाएँ हैं, एक सकारात्मक पहलू, जिसमें अपनी पढ़ाई में अच्छा करने की इच्छा निहित है, साथ ही यह भावना भी कि दूसरे भी अच्छा करें।  नकारात्मक पहलू तब है, जब हम अच्छा करने की अपेक्षा करते हैं, पर दूसरों को पराजित करने की और उन्हें नीचा दिखाने का उद्देश्य रखते हैं। कार्ला रिनाल्डी ने प्रस्ताव रखा कि जब हम युवा होते हैं तो हमारे पास एक अच्छा व्यक्ति बनने का अवसर होता है यदि हमारा समाज हमें उस प्रकार बढ़ने में सहायता करे। डेबोराह हारकोर्ट ने सहमति जताते हुए टिप्पणी की, कि यह सुनिश्चित करना कि हम एक अच्छे व्यक्ति के रूप में बड़े हों, अभिभावकों, शिक्षकों और समाज के बीच की सहभागिता पर निर्भर है। परम पावन ने स्वीकार किया कि यह महत्त्वपूर्ण है कि शिक्षा हमें स्मरण कराए कि प्रेम, करुणा, धैर्य और सहनशीलता जैसे आंतरिक मूल्य एक सुखी जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। यासमिन आबदेल मेगीड चर्चा में शामिल हुई, यह स्मरण करते कि वे किस तरह एक धर्म निरपेक्ष समाज में बड़ी हुई थी, जबकि उनके पिता ने अपने धर्म के प्रति अपने कर्तव्य को बनाए रखा। परम पावन ने ऐसी कर्तव्य भावना के प्रति अपने प्रशंसा भाव अभिव्यक्त किये।

इस समय 100 छोटी उम्र के जिसमें 8 वर्ष की आयु के लोग भी थे, कतारबद्ध हो मंच पर आए और पेनल के सदस्यों के पीछे बैठ गए। परम पावन जी से पूछने के लिए वे अपने साथ प्रश्न लेकर आए थे। पहला यह जानना चाहता था कि क्या एक अच्छे माता पिता एक अच्छी संतान बना सकते हैं। उन्होंने उत्तर दिया, कि स्वाभाविक है कि माता - पिता जितने अधिक करुणाशील होंगे, बच्चा करुणा से उतना ही अधिक परिचित होगा, जबकि वह बच्चा, जिसके माता- पिता आपसे में लड़ते हों, वह उतना अधिक खिंचा खिंचा रहेगा। यह मानने पर कि 14वें दलाई लामा 14 बार कम उम्र के रहे होंगे, उनसे पूछा गया कि क्या वे निपुण हो गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया, कि उन्हें अपने पूर्व जन्मों की कोई स्मृति नहीं है, और ऐसे भी बौद्ध संदर्भ में हम सभी ने बार बार पुनर्जन्म लिया है।


एक और प्रश्नकर्ता ने पूछा कि क्या परम पावन ने यह सोचा है कि विश्व शांति कभी यथार्थ बन पाएगी। उनका उत्तर था कि यह हम ही हैं जो युद्ध को जन्म देते हैं, जो शांति भंग करते हैं। उन्होंने सबको स्मरण कराया कि बीसवीं शताब्दी में 200 लाख से भी अधिक लोग हिंसा में मारे गए, पर साथ ही यह कहा कि यदि हम युद्ध को जन्म देते हैं तो हम उसका अंत भी कर सकते हैं। उन्होंने युवाओं का ध्यान उनके सच्चे अर्थों में इक्कीसवीं शताब्दी के होने की ओर आकर्षित करवाया, और उनसे इस अवसर को शांति की शताब्दी बनाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसमें संघर्ष, शक्ति के बजाय संवाद से सुलझाया जा सकता हो।

एक छोटी बच्ची जानना चाहती थी कि उनकी सबसे प्रिय पुस्तक कौन सी है और एक क्षण सोचने के बाद उन्होंने कहा, कि खगोल शास्त्र की पुस्तकें। थोड़ी और बड़ी लड़की ने उन लोगों के बारे में पूछा जो धर्म के नाम पर औरतों और बच्चों से दुर्व्यवहार करते हैं। वे बोले कि आज के विश्व में शिक्षा और अधिक समानता की भावना लेकर आई है, पर शिक्षा जो मस्तिष्क पर केन्द्रित हो, वह अपर्याप्त है, हमें सहृदयता की भी आवश्यकता है, जो अधिक आत्म – विश्वास को जन्म देती है। एक छोटा बालक यह जानना चाहता था कि वे अपने क्रोध पर कैसे काबू रखते हैं।

“उस पर सोचते हुए, और अपने आप से पूछते हुए कि क्रोध से क्या कोई लाभ होता है, मुझे यह अनुभव होने लगता है कि क्रोध केवल विनाशकारी है। यह हमारे मन की शांति को नष्ट करता है और मुसीबतें खड़ी करता है। यह हमारे ठीक से कार्य करने की क्षमता को भी बाधित करता है।”

एक छोटे बालक ने प्रश्न किया कि परम पावन किस रूप में पुनर्जन्म चाहते हैं और उनके द्वारा मिला उत्तर आश्चर्य से भरा थाः
“शायद 20 वर्षों के बाद तुम्हारे बेटे के रूप में,  मेरी सबसे प्रिय प्रार्थना – जब तक आकाश की स्थिति है, और जब तक सत्त्व जीवित हैं, तब तक मैं भी बना रहूँ, संसार के दुःख को मिटाने के लिए – मुझे बहुत अधिक आंतरिक शक्ति देता है। एक दिन तुम सुनोगे कि दलाई लामा नहीं रहे, पर मैं लौट कर आऊँगा फिर भले ही दलाई लामा परम्परा की पहचान न हो। मैं वापिस आऊँगा।”


अपने सहयोगी पेनल साथियों से एक अंतिम स्पष्टीकरण में परम पावन ने कहा कि उन्हें लगता है कि धर्म निरपेक्ष नैतिकता महत्त्वपूर्ण है क्योंकि उसकी सार्वभौमिक गुणवत्ता है। धार्मिक परम्पराओं की सीमाएँ हैं, बौद्ध धर्म बौद्धों के लिए है, और इस्लाम मुसलमानों के लिए है, परन्तु धर्म निरपेक्ष नैतिकता, किसी के भी द्वारा भलाई के लिए काम में लाई जा सकती है।

टाउन हॉल से, परम पावन कार से इनर वेस्ट सिडनी, अपने मित्र आदरणीय बिल क्रूस और एशफील्ड पेरिश मिशन के द एक्सोडस फाउंडेशन, जो खतरों में पड़े और आश्रयहीन लोगों का सहायक है, से मिलने गए। आदरणीय बिल परम पावन से गेट पर मिले और पहले उन्हें चर्च ले गए, जहाँ उन्होंने एक सादे पूजा वेदी के क्रॉस के चारों ओर तिब्बती खाता लपेट कर अपना सम्मान व्यक्त किया। परम पावन ने आश्रयहीन और स्वयंसेवकों के साथ भोजन करने पर ज़ोर दिया। चर्च के एक आदिवासी सदस्य ने यह कहते हुए स्वागत किया, ‘हम आदिवासियों को भी अपनी धरती से बेदखल कर दिया गया है, पर हम आपके सुख के सन्देश का स्वागत करते हैं।’

पहली बार परोसने के बाद परम पावन और आदरणीय बिल ने एप्रन पहना और साथ साथ टेबल के चक्कर लगाते हुए लोगों को मीठा परोसा। अपने सम्बोधन में आदरणीय बिल ने परम पावन के विषय में कहाः

“वे विश्व के नेताओ से मिलते हैं और वे नेता सहायता का वचन देते हैं, पर हम जानते हैं, कि कैसा लगता है जब जाने के लिए कोई ठौर नहीं और अकेलापन होता है। एक दिन आपका देश वैसा स्वतंत्र हो जाएगा जैसा हम चाहते हैं। सम्पन्न, शक्तिशाली चीन इस एक व्यक्ति से भयभीत है। उसके पास क्या है? परिवर्तन की शक्ति।

उन्होंने परम पावन को लोव्स एंड फिशस फ्री रेस्तरॉ का चौखटे में मढ़ा चित्र इन शब्दों के साथ दिया, ”ईश्वर आपको सुखी रखे और ईश्वर तिब्बत को सुखी रखे।” प्रत्युत्तर में परम पावन ने कहाः

“मेरे आध्यात्मिक बंधु, हम एक दूसरे को वर्षों से जानते हैं और आज आप मुझे अपना कार्य दिखाना चाहते थे, जिसकी मैं सच्ची सराहना करता हूँ। करुणा और प्रेम जैसे शब्द कहने में सरल है और दूसरों के लिए चिंता करना भी अपेक्षाकृत रूप से सरल है, पर आप ने इसे कार्य में ढाला है, वर्षों से, और न केवल एक जगह पर अपितु कई देशों में।

“आपमें से जो बेघर हैं, आशा न छोड़ें। थोड़े समय के लिए आप बेघर हैं, और मैं भी। पर एक व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाए तो, यह विश्व ही हमारा घर है और अन्य मनुष्य हमारे भाई बहन हैं। जिन लोगों से आप पहले कभी मिले न हों वे आपकी देख रेख कर रहे हैं ;  यही मानवीय भावना की प्रकृति है।

“मैंने आपके स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठाया, धन्यवाद। मैं इसलिए भी खुश हूँ कि मैं आपको कुछ मीठा परोस सका। हमारी बौद्ध परम्परा में, दूसरों को अपने ही हाथों भिक्षा दे पाना बहुत महत्त्वपूर्ण है, इसलिए आपकी सहायता से मैंने कुछ पुण्य कमाया है। धन्यवाद। इस उद्देश्य से कि यहाँ का अच्छा कार्य इसी तरह चलता रहे उसकी सहायता के लिए मैं कुछ दान देना चाहूँगा। ”


परम पावन का अंतिम कार्यक्रम वेस्टमीड़ अस्पताल था, जहाँ ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख अंग प्रत्यारोपण शल्य चिकित्सक डॉ जेरिमी चैपमेन ने उनका स्वागत किया। वे उन्हें एक छोटे थियेटर ले गए, जहाँ 340 से भी अधिक चिकित्सक उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। डॉ चैपमेन ने परम पावन जी को समय निकाल कर आने के लिए धन्यवाद दिया और उनसे कहा कि उनके सहयोगी इस बात के मूल्य को समझते हैं कि वे उनके समक्ष कई प्रश्न रख पा रहे हैं, जिनको लेकर उन्हे सहायता की आवश्यकता है।

एक प्रश्न का संबंध था कि मरीज़ों के गलत स्वास्थ्य व्यवहार, जैसे सिगरेट पीना के संबंध में कैसे निर्णय लिया जाए। परम पावन ने स्पष्ट रूप से कहा कि मरीज़ों में परिवर्तन लाने के लिए उन्हें शिक्षित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के संबंध में दी गई सलाह लोगों को शिक्षित करने में सहायक होती है। अंततः आत्म – अनुशासन बाहरी दबाव लाने से अधिक प्रभावशाली है; यह महत्त्वपूर्ण है कि व्यवहार में जो भी परिवर्तन लाने की आवश्यकता है वह स्वैच्छिक हो। अमीर और ग़रीबों के बीच जो बड़ा अंतर अभी भी कई स्थानों पर दिखाई दे रहा है, इस पर उन्होंने कहा, कि प्रभावशाली उपाय ग़रीबों के आत्म – विश्वास को लौटाना है।

विशिष्ट रूप से विश्व में असमानता के बौद्ध संदर्भ में व्याख्या पूछे जाने पर, परम पावन ने कहा कि प्रमुख कारण उस व्यक्ति के पूर्व कर्म हैं, पर यह भी स्पष्ट किया कि जहाँ कर्म प्रमुख कारण है, पर साथ ही अतिरिक्त स्थितियाँ भी हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पहले के नकारात्मक कार्यों के प्रभाव को अब प्रबल सकारात्मक कार्यों के द्वारा दूर कर पाना संभव है।

एक अन्य प्रश्न का संबंध ऑस्ट्रेलियाई और आदिवासियों के औसतन की आयु सीमा में 17-20 वर्ष के अंतर और इसके बारे में क्या किया जा सकता है, को लेकर था। पुनः परम पावन ने कहा, कि शिक्षा ही कुंजी है। उन्होंने यूरोप से आए आरम्भिक आप्रवासियों और आज के ऑस्ट्रेलियाइयों की आयु सीमा की तुलना का सुझाव दिया। अगर इसमें अंतर है तो, निश्चित रूप से उसका कारण शिक्षा को दिया जा सकता है।

उन्हें अंग प्रत्यारोपण वार्ड में मरीज़ो से मिलने के लिए ले जाया गया, जिनमें से कई उनकी उपस्थिति से उल्लसित से जान पड़े। जब वे अस्पताल में जा रहे थे तो वहाँ के गलियारों में भीड़ मच गईः कर्मचारी, मरीज़ और आगंतुकों में उनकी एक झलक पाने के लिए या उनके आमने – सामने होने के लिए।  उन्होंने प्रसन्नता जताई कि वे वहाँ आ पाए और सख्त ज़रूरतमंद मरीज़ो की सहायता के लिए किए जा रहे कार्य, जिससे कइयों को एक नया जीवन मिला है, की प्रशंसा की।

  • फ़ेसबुक
  • ट्विटर
  • इंस्टाग्राम
  • यूट्यूब
  • सभी सामग्री सर्वाधिकार © परम पावन दलाई लामा के कार्यालय

शेयर

  • फ़ेसबुक
  • ट्विटर
  • ईमेल
कॉपी

भाषा चुनें

  • चीनी
  • भोट भाषा
  • अंग्रेज़ी
  • जापानी
  • Italiano
  • Deutsch
  • मंगोलियायी
  • रूसी
  • Français
  • Tiếng Việt
  • स्पेनिश

सामाजिक चैनल

  • फ़ेसबुक
  • ट्विटर
  • इंस्टाग्राम
  • यूट्यूब

भाषा चुनें

  • चीनी
  • भोट भाषा
  • अंग्रेज़ी
  • जापानी
  • Deutsch
  • Italiano
  • मंगोलियायी
  • रूसी
  • Français
  • Tiếng Việt
  • स्पेनिश

वेब साइय खोजें

लोकप्रिय खोज

  • कार्यक्रम
  • जीवनी
  • पुरस्कार
  • होमपेज
  • दलाई लामा
    • संक्षिप्त जीवनी
      • परमपावन के जीवन की चार प्रमुख प्रतिबद्धताएं
      • एक संक्षिप्त जीवनी
      • जन्म से निर्वासन तक
      • अवकाश ग्रहण
        • परम पावन दलाई लामा का तिब्बती राष्ट्रीय क्रांति दिवस की ५२ वीं वर्षगांठ पर वक्तव्य
        • चौदहवीं सभा के सदस्यों के लिए
        • सेवानिवृत्ति टिप्पणी
      • पुनर्जन्म
      • नियमित दिनचर्या
      • प्रश्न और उत्तर
    • घटनाएँ एवं पुरस्कार
      • घटनाओं का कालक्रम
      • पुरस्कार एवं सम्मान २००० – वर्तमान तक
        • पुरस्कार एवं सम्मान १९५७ – १९९९
      • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट २०११ से वर्तमान तक
        • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट २००० – २००४
        • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट १९९० – १९९९
        • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट १९५४ – १९८९
        • यात्राएँ २०१० से वर्तमान तक
        • यात्राएँ २००० – २००९
        • यात्राएँ १९९० – १९९९
        • यात्राएँ १९८० - १९८९
        • यात्राएँ १९५९ - १९७९
  • कार्यक्रम
  • समाचार
    • 2025 पुरालेख
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2024 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2023 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2022 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2021 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2020 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2019 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2018 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2017 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2016 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2015 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2014 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2013 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2012 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2011 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2010 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2009 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2008 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2007 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2006 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2005 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
  • तस्वीरों में
  • वीडियो
  • सन्देश
  • प्रवचन
    • भारत में प्रवचनों में भाग लेने के लिए व्यावहारिक सलाह
    • चित्त शोधन
      • चित्त शोधन पद १
      • चित्त शोधन पद २
      • चित्त शोधन पद ३
      • चित्त शोधन पद : ४
      • चित्त् शोधन पद ५ और ६
      • चित्त शोधन पद : ७
      • चित्त शोधन: पद ८
      • प्रबुद्धता के लिए चित्तोत्पाद
    • सत्य के शब्द
    • कालचक्र शिक्षण का परिचय
  • कार्यालय
    • सार्वजनिक दर्शन
    • निजी/व्यक्तिगत दर्शन
    • मीडिया साक्षात्कार
    • निमंत्रण
    • सम्पर्क
    • दलाई लामा न्यास
  • किताबें
  • सीधे वेब प्रसारण