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“संक्रमण काल में समाजःहमारे साझे मूल्य“ फोरम २००० सम्मेलन का समापन पैनल १८/सितम्बर/२०१३

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प्राग में आगमन, चेक गणतंत्र, सितम्बर १७, २०१३ - ज़ोफिन महल में आज प्रातः आगमन पर परम पावन दलाई लामा का स्वागत थॉमस वृबा, एक प्रकाशक जो कि फोरम २००० के बोर्ड के अध्यक्ष हैं, द्वारा किया गया। पत्रकारों के साथ एक मीटिंग के लिए वे उन्हें नाइट्स हॉल ले गए। परम पावन ने पहले प्रश्न के पूछे जाने पर कि क्या वे निराश है, जब वे पाते हैं कि राजनैतिक नेता उनसे मिलने के अनिच्छुक हैं, का उत्तर उसी रूप में उत्तर दिया जैसा पहले कहीं और कहा था कि उनका मुख्य उद्देश्य जनता से मिलकर उनसे मानवीय मूल्यों की चर्चा करना है।

हाल में चेक गणतंत्र मे रोमा या खानाबदोशों पर जातिवादि हमलों की घटनाएँ हुई हैं। परम पावन से पूछा गया, कि चीनी और तिब्बतियों के संबंधों में क्या कोई जातीय तत्व हैं। उन्होंने उत्तर दिया कि १९५९ से पहले चीनियों के साथ अंतर तो थे, पर बिना किसी जातीय तनाव के; तिब्बती और चीनी शताब्दियों से निकट रहे हैं। परन्तु १९५९ के बाद सब कुछ अलग था। तिब्बतियों के लिए एकमात्र समाधान अपने चीनी भाइयों और बहनों की ओर हाथ बढ़ाना था। तियानामन घटना तक प्रतिक्रिया कम थी पर उसके पश्चात प्रतिक्रिया में सुधार हुआ।

परम पावन से पूछा गया कि क्या अन्य धार्मिक परम्पराओं ने उनके चिन्तन को प्रभावित किया है। उन्होंने उत्तर दिया कि वह एक अच्छा प्रश्न था। उन्होंने देखा है कि ईसाई भाई और बहनों ने पूरे विश्व में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महान योगदान दिया है। वे अनुभव करते हैं कि बौद्धों को उनसे सीख कर उनके उदाहरण का पालन करना चाहिए।


एक पत्रकार ने चीन के नए नेतृत्व में सतर्क आशावाद की बात की और परम पावन ने उत्तर दिया कि,  जैसा उन्होंने पहले ही कहा था, कि तिब्बती अपने चीनी भाई बहनों की तरफ हाथ बढ़ाने में लगे हैं, जिसमें चीन की सरकार भी शामिल है। जब से नेतृत्व बदला है, कुछ चीनी मित्रों ने कहा है कि उसका व्यवहार और यथार्थवादी हो सकता है। उदाहरण के लिए शी जी फिंग भ्रष्टाचार को कम करने में साहसिक कदम उठाते प्रतीत होते हैं। यह पूछे जाने पर कि प्रजातंत्र उनके लिए क्या अर्थ रखता है, परम पावन ने जवाबदेही का उल्लेख किया। बर्मा के रोहिनग्या के मुद्दे पर परम पावन ने सूचित किया कि उन्होंने वहाँ के बौद्धों से बुद्ध के चेहरे को स्मरण रखने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि उनका यह दृढ़ विश्वास है कि यदि वहाँ बुद्ध होते तो वे मुसलमानों को सुरक्षा देगें।

फोरम २००० सम्मेलन का समापन पेनल सर निकोलस विंटन और एली वीसल के वीडियो संदेश से हुआ। सभापति, पूर्व ऑस्ट्रेलियायी विदेश मंत्री गेरेथ इवांस ने छह बिंदुओं की सूची, इतिहास और संस्कृति;  धैर्य;  कार्य; वैयक्तिकता;  नेतृत्व और विचार, बताई जो संक्रमण काल में समाज में चर्चा के दौरान उठे थे। एफ डब्ल्यू डि क्लर्क ने यह कहते हुए इन्हें उठाया कि इन विचारों को अभिव्यक्ति मिलनी चाहिए पर उन्हें केवल लटकाया नहीं जा सकता, उन्हें साकार करने के लिए एक दृष्टि और कार्य योजना की आवश्यकता है। परम पावन ने उत्तर दियाः

“जैसा आपने कहा है, कार्य सबसे महत्वपूर्ण है, पर उस कार्य की गुणवत्ता, प्रेरणा पर निर्भर करती है। हमें कार्य पर बल देना चाहिए पर हमें प्रेरणा नहीं भूलनी चाहिए। प्रेरणा में करुणा और दूसरों के प्रति चिंता का शामिल होना आवश्यक है। दूसरी बात यह है कि वास्तविकता के प्रति कोई निर्णय लेने से पहले हमारे चित्त शांत होने चाहिए और हमें समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।”

उन्होंने सिफारिश की कि प्रतिनिधि जब घर जाएँ तो उन्होंने जो सीखा है उस पर विचार करें, उस पर चर्चा करें और दूसरों तक पहुँचाएँ। तब जैसे कोई कंकड़ पानी में डाल दिया जाए, उनका ज्ञान अपने सतह पर सदैव विस्तृत होते लहरों की तरह हो जाएगा।

गेरेथ इवांस ने पूछा कि क्या सामूहिक उत्तरदायित्व सिखाया और सीखा जा सकता है या फिर वह वृत्ति के माध्यम से पैदा होता है। परम पावन ने उत्तर दियाः

“यह सिखाया जा सकता है। लोगों को शिक्षित करने के लिए हमें मन और भावनाओं के एक मानचित्र की तरह कुछ की आवश्यकता है। जिस तरह शारीरिक स्वच्छता की आवश्यकता स्पष्ट रूप में स्वीकार की जाती  है, क्योंकि हमारे यहाँ हज़ारों चित्त और भावनाएँ हैं, हमें अब जो जानना है वह एक प्रकार का मानसिक स्वास्थ्य है। उसे लोग अपने स्वयं के अनुभव से सीख सकते हैं, यह भावना उस परिणाम की ओर ले जाता है। वे पहचान कर सकते हैं कि कौन सी भावनाएँ विनाशकारी हैं और उनके कारण क्या हैं। यह एक धार्मिक विषय के बजाय शैक्षिक अध्ययन के समान है; इसमें एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण होना चाहिए। चित्त और भावनाओं का ज्ञान हम सब को प्रभावित करता है।”

कारेल श्वार्ज़ेनबर्ग मे संक्रमण काल के समाजों के लिए कानून के नियम का महत्व उठाया। परम पावन ने इसे स्वीकार किया, पर बल दिया कि एक ऐसे कानून के शासन की आवश्यकता है जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है। आंग सान सूची ने कहा कि हम इसे न्यायपूर्ण कानून का नियम कहते हैं। श्वार्ज़ेनबर्ग ने टिप्पणी की कि दुर्भाग्यवश बुरी सरकार स्वयं को कानून से ऊपर मानने लगती है।
योआनी सांचेज़, क्यूबा की एक विपक्षी ब्लॉगर ने कहा कि वह संवाद में 'सूचना' जोड़ना चाहती थी। उसने कहा कि आधुनिक व्यक्ति को एक वास्तविक लोकतांत्रिक समाज में सूचित किए जाने की आवश्यकता है।

जब सदन से एक प्रश्न पूछा गया कि किस प्रकार परिवर्तन को प्रेरित किया जाए तो कारेल श्वार्ज़ेनबर्ग ने कहा कि हमें दृढ़ता का महत्व नहीं भूलना चाहिए। यंग जियान्ली ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में चीन की सदस्यता के नवीकरण का प्रश्न उठाया। गेरेथ इवांस ने पूछा, "हम क्या करें? उन्हें बाहर करें या अंदर रखें?" परम पावन ने उत्तर दिया कि चीन के भीतर ही लोग मानव अधिकारों के लिए चुनाव प्रचार में शामिल हैं।

"जिस तरह बिशप टूटू ने लगातार आंग सान सूची के क़ैद के दौरान उसके समर्थन में बात की, उसी तरह हमें कैद नोबेल पुरस्कार विजेता लियू ज़िआओबो के समर्थन में जो लोग उनके साथ खड़े हैं, उन्हें सहयोग देकर एकजुटता दिखाना चाहिए।"

योआनी सांचेज़ ने बताया कि सत्तावादी सरकारों के साथ काम करने में दुविधा, जो प्रभावशाली रूप से अपने लोगों को बंधक बनाते हैं, वैसा ही है जैसा आप अपहर्ताओं के साथ बातचीतमें करते हैं। उन्हें रास्ते खोल कर रखना अधिक पसन्द है क्योंकि ऐसा करते हुए पीड़ितों को मुक्त करने का एक अवसर मिलता है।

अंत में गैरेथ इवांस ने ४००० प्रतिभागियों, १४० वक्ताओं और परम पावन दलाई लामा और आंग सान सूची के रूप में दो ​​असाधारण वक्ताओं को धन्यवाद दिया। अंत में सम्मेलन की सफलता के लिए उन्होंने कार्यकारी निदेशक, जेकबक्लेपल के समर्पित कार्य को स्वीकार किया।

दोपहर को परम पावन ने चार्ल्स विश्वविद्यालय में एक और पैनल चर्चा में भाग लिया जो 'लोकतंत्र, मानवाधिकार और पूर्व एशिया में धार्मिक स्वतंत्रता' पर केंद्रित था। डीन, जो सभापतित्व कर रहे थे, ने घोषित किया कि मानव अधिकार का विचार बीसवीं सदी के सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में से एक था। थॉमस हालिक ने यह कहते विषय उठाया कि १९४८ मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के साथ जो भी हासिल किया गया था, उसे आज प्राप्त करना बहुत कठिन होगा, जब आज यह प्रश्न किया जाता है कि क्या मानव अधिकारों की वास्तव में एक सार्वभौमिक गुणवत्ता है।

मलेशिया से स्टीवगण ने  कुछ अनुभव बताए, जिन्होंने स्पष्ट किया कि मानव अधिकार एशिया के कुछ हिस्सों में सार्वभौमिक रूप में नहीं माना जाता। उन्होंने निष्कर्ष रूप में बताया कि इस पर बातचीत की आवश्यकता न केवल पूर्व और पश्चिम के बीच, पर धार्मिक समुदायों के अंदर भी है। चीनी मानवाधिकार कार्यकर्ता, चेन गुआंगचेन ने सभा को बताया कि वह वहाँ कितने खुश थे। उन्होंने संकेत दिया कि जब एक राजनीतिक दल का पूरे समाज पर प्रभुत्व होता है तो वहाँ समस्या होती है। जब पार्टी उन्हें देखती है, जिनके विचार अलग हैं और वे उन विचारों का पीछा करते हैं  तो वहाँ एक समस्या है। उन्होंने टिप्पणी की कि चीन में अधिक धन रक्षा बजट की तुलना में आंतरिक सुरक्षा पर खर्च किया जाता है। उन्होंने कहा कि अन्य देशों के विपरीत चीन में सरकार पार्टी का एक उपकरण है। पार्टी हर मोड़ पर सरकार पर हावी रहती है। परन्तु जैसे पार्टी अपनी शक्ति को और अधिक सशक्त करती है तो जनता अपने अधिकारों को सुरक्षित करने का प्रयास करती है।

डीन ने परम पावन से पूछा कि मानव मूल्यों और अंतर्धार्मिक सद्भाव को लेकर अपने जीवन की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में वह कितना सफल अनुभव करते हैं। उन्होंने उत्तर दिया कि १९७३ में अपने पहले यूरोप की यात्रा के दौरान उन्होंने और अधिक वैश्विक उत्तरदायित्व की आवश्यकता की बात की थी। तब से वैज्ञानिकों सहित और अधिक लोगों ने अधिक सुखी व्यक्ति, परिवार तथा समाज बनाने में मानवीय मूल्यों और सहृदयता की भूमिका के महत्व को स्वीकार किया है।परन्तु उन्होंने कहा कि हमारी कई समस्याएँ  नैतिक सिद्धांतों की कमी के कारण उत्पन्न होती रहती है।

“जहाँ तक भारत का संबंध है, जो मेरा दूसरा घर है, अंतर्धार्मिक संघर्ष के बारे में पहले की गई टिप्पणियों के खिलाफ मैं कुछ कहना चाहता हूँ। भारत एक ऐसा राष्ट्र है जहाँ प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक के नेता कैथोलिक हैं, प्रधानमंत्री एक सिख है, उप राष्ट्रपति एक मुसलमान और राष्ट्रपति एक हिंदू। यह भारत की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति का एक उदाहरण है ,जहाँ सभी धर्मों के लिए सम्मान है।”

विश्व की लोकतंत्र की दिशा में प्रवृत्ति, बोलने और सूचना की स्वतंत्रता के बारे में १.३ अरब चीनी लोग सभ्य, परिश्रमी और यथार्थवादी लोग हैं। इसलिए यह मात्र समय की बात है कि चीन एक अधिक खुला समाज बनेगा, परन्तु पार्टी को लोगों की बात सुननी चाहिए।

“परिवर्तन हो रहा है। जब से मैं छोटा था, तब से मैंने लोकतंत्र की प्रशंसा की है। एक बार मैंने  अमरीका में यह कहा कि अमेरिका अमेरिकी लोगों का है,डेमोक्रेट या रिपब्लिकन पार्टी का नहीं। मैंने जापान में दोहराया कि जापान जापानी लोगों का है, सम्राट का नहीं। और तिब्बत तिब्बती लोगों का है दलाई लामा का नहीं। चूँकि हमने एक निर्वाचित नेतृत्व किया है मैं किसी भी राजनैतिक उत्तरदायित्व से सेवानिवृत्त हो चुका हूँ। हम अपने चीनी भाइयों और बहनों को दिखा सकते हैं कि हम लोकतंत्र अभ्यास कर सकते हैं। कुछ कमियों के बावजूद लोकतंत्र सरकार की सबसे अच्छी प्रणाली बनी हुई है और जैसे यहाँ चेक गणराज्य में आपने पाया है कि एक बार लोकतंत्र हो तो उत्तरदायित्व आपके कंधों पर टिकी होती है और अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से व्यक्त की जा सकती है।”
चेन गुआंगचेन ने यह कहते हुए समाप्त किया :

“यदि आप मानव अधिकारों का उल्लंघन होते देखते हैं, यह न सोचें कि इससे आपका कुछ लेना देना नहीं।”

परम पावन सम्मेलन से सीधे हवाई अड्डे की ओर रवाना हुए जहाँ से उन्होंने हेनोवर, जर्मनी की हवाई यात्रा की, जहाँ वह 'एक शांतिपूर्ण विश्व के लिए युवा लोगों का योगदान' के विषय में एक कार्यक्रम में भाग लेने वाले हैं।

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