परम पावन 14 वें दलाई लामा
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परम पावन दलाई लामा ने केपिटल हिल पर दिन बिताया ६/मार्च/२०१४

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वॉशिंगटन डी सी, संयुक्त राज्य अमेरिका, ६ मार्च २०१४  - परम पावन दलाई लामा के केपिटल हिल का दिन सीनेट की कार्यवाही के प्रारंभ करने से पूर्व उन्हें प्रार्थना के लिए आमंत्रित किए जाने से शुरू हुआ। सबसे प्रथम बहुसंख्यक नेता सेन हैरी रीड ने उनका स्वागत किया और परिचय देते हुए कहा कि वे विश्व भर में अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का एक रूप थे। तिब्बती में बुद्ध के प्रति एक नमन स्तुति का पाठ करने के पश्चात परम पावन ने पहले तिब्बती में और फिर अंग्रेजी में निम्न तैयार किए गए छंद पढ़े:

मन से निर्मित करते हैं अपना विश्व हम
मन है केंद्र जो है चले हमारे कर्म से पूर्व
शुद्ध मन से कहें बात या करें कर्म
और सुख करेगा अनुपालन
कभी न विलग होने वाली छाया की तरह
- 'धम्मपद' से

हो आनंद इस संसार में,
भरपूर फसल और आध्यात्मिक सम्पदा युक्त
हर सौभाग्य हो फलित;
और हो पूरी हमारी सभी कामना

जब तक आकाश है स्थित, जब तक रहें सत्व यहाँ
तब तक मैं भी बना रहूँ, संसार के कष्ट दूर करने के लिए

उन्होंने इंगित किया कि अंतिम पद शांतिदेव के बोधिसत्वचर्यावतार से था, जो परम पावन के विचारों को अभिव्यक्त करती है, उनकी सबसे प्रिय प्रार्थना है, जिसे वह नित्यप्रति अपने जीवन में व्यवहृत करने का प्रयास करते हैं ।


सेनेटर रीड ने उनकी प्रशंसा में विश्व में शांति का संदेश फैलाने के लिए परम पावन के प्रयासों का उल्लेख किया और उन्हें उद्धृत करते हुए कहा कि: "जब भी संभव हो दयालु बने रहो, यह हमेशा संभव है" और "सभी जगह समस्याओं का समाधान करने का उत्तम उपाय बैठ कर बातचीत करना है।

सेनटेर पैट्रिक लियापी, एक अन्य पुराने मित्र ने परम पावन द्वारा तिब्बती लोगों के िलए एक लंबे समय से कठिन काम की प्रशंसा करते हुए विषय को कायम रखा। उन्होंने कई वर्ष पूर्व तिब्बत में ल्हासा में एक सड़क की एक घटना का स्मरण किया, जब वह एक तस्वीर खींचने वाले थे, और एक स्थानीय तिब्बती ने अपने हृदय के पास परम पावन की तस्वीर रखते हुए उनके लिए पोज़ करने पर ज़ोर दिया।

"ऐसा करते हुए उसने कारावास का संकट उठाया था, तो उसने ऐसा क्यों किया? क्योंकि कहीं और लोगों के लिए यह जानना आवश्यक है, तिब्बतियों के मन में दलाई लामा के प्रति कितना विश्वास है।"

इसके तुरंत बाद परम पावन ने सभा अध्यक्ष जॉन बोएह्नेर और सभा अल्पसंख्यक नेता नैन्सी पेलोसी से भेंट की, और कहा कि परम पावन के लिए उनके साथ होना कितने सम्मान की बात थी और मानव मूल्यों, धार्मिक सद्भाव और तिब्बत की शांतिपूर्ण बौद्ध संस्कृति के संरक्षण के लिए अपनी तीन प्रतिबद्धताएँ दोहराईँ। उन्होंने समझाया कि किस प्रकार तिब्बत ने बौद्ध ८वीं और ९वीं शताब्दी में भारत से बौद्ध प्राप्त किया था, वह ज्ञान जो उस समय विख्यात नालंदा विश्वविद्यालय से आया था।

"हमने नालंदा परंपरा को जीवंत रखा है और उसके साथ चित्त तथा भावनाओं का ज्ञान जिससे सीखने के िलए आज वैज्ञानिक उत्सुक हैं। यह समयानुकूल है, क्योंकि भौतिक रूप से विकसित विश्व भर में, लोग बहुत अधिक तनाव का अनुभव कर रहे हैं। चित्त तथा भावनाओं की पूर्ण समझ बहुत उपयोगी हो सकती है। तिब्बत के लिए मेरी चिंता का एक अन्य विषय पर्यावरण से संबंधित है।"

अल्पसंख्यक नेता पेलोसी ने कहा कि तिब्बत के लिए समर्थन द्विदलीय है और परम पावन का स्वागत रिपब्लिकन के साथ ही डेमोक्रेटिक राष्ट्रपतियों द्वारा किया गया है जो उन्हें लोकतंत्र और स्वतंत्रता का सर्वोंपरि समर्थक मानते हैं। अपने उत्तर में उन्होंने कहा:


"विगत ६० वर्षों की चुनौतियों के बाद भी तिब्बती भावना सशक्त है। तिब्बत कोई नूतन प्रश्न नहीं है, पर फिर भी इसको लेकर जागरूकता अभी भी बनी हुई है जिसके लिए आप धन्यवाद के पात्र हैं। िमत्र बताते हैं कि शी जिनपिंग अधिक यथार्थवादी हैं। वह साहस से भ्रष्टाचार से निपट रहे हैं तथा ग्रामीण जनता की आवश्यकताओं और कानूनी प्रणाली के विषय में बात कर रहे हैं। कुछ लोगों का मत है कि एक ऐसी भावना है कि तिब्बत पर वर्तमान नीति काम नहीं कर रही और वह एक और अधिक यथार्थवादी दृष्टिकोण को देख रहे हैं, परन्तु चीनी व्यवस्था के भीतर ही प्रतिरोध हो सकते हैं। ऐसे समय में मुक्त विश्व का समर्थन और विशेष रूप से अमेरिका बहुत महत्त्वपूर्ण है। अतीत में जब चीन के सबसे पसंदीदा राष्ट्र के स्थान को लेकर वाद विवाद चल रहा था, तो मैंने कहा था कि उन्हें यह स्थान िमलना चाहिए। लोकतंत्र की मुख्यधारा में चीन का मार्गदर्शन करने का उत्तरदायित्व मुक्त विश्व का है। एक तिब्बती कहावत है कि १०० रोगों के लिए एक औषधि, चीन में लोकतंत्र से विश्व भर में १०० समस्याओं का समाधान होगा।"

परम पावन ने कहा कि चीनी लोग सुधार चाहते हैं। वेन जियाबाओ ने यहाँ तक कहा कि चीन को अमेरिकी शैली के लोकतंत्र की आवश्यकता है, इसलिए परम पावन ने दोहराया कि और अधिक स्वतंत्रता और सेंसरशिप की छूट की जरूरत है। श्रीमती पेलोसी ने टिप्पणी की, कि परम पावन के साथ बैठक के अतिरिक्त राष्ट्रपति ओबामा ने मध्यम मार्ग दृष्टिकोण के प्रति समर्थन व्यक्त किया था। परम पावन ने सहमति जताते हुए टिप्पणी की, कि जो कुछ भी अतीत में हुआ, वह अतीत है। आज तिब्बत भौतिक रूप से पिछड़ा हुआ है और पीपुल्स रिपब्लिक चाइना के भीतर रहते हुए विकास के लिए सहायता लेने के लिए तैयार है, बशर्ते तिब्बतियों को सच्ची स्वायत्तता प्रदान की जाए, जैसा कि चीनी संविधान ने गांरटी दी है।

कांग्रेस के आगंतुक केंद्र सभागार में कई सौ कांग्रेस के कर्मचारियों के साथ एक बैठक में, परम पावन से पूछा गया कि क्या वे कभी उदासी या निराशा का अनुभव करते हैं, और यदि ऐसा है तो वह इस संबंध में क्या करते हैं।


"सबसे पहले एक साधारण बौद्ध भिक्षु और इस राष्ट्र के दीर्घ कालीन मित्र के रूप में, इस महान देश के एक बड़े प्रशंसक के रूप में मेरे लिए यहाँ होना यह एक सम्मान की बात है। उदासी और निराशा आज जीवित सभी ७ अरब मनुष्यों द्वारा अनुभव की जा रही है, यद्यपि संभवतः बच्चों में कम है। लोग मुझसे पूछते हैं कि क्या मानव प्रकृति विनाशकारी है और मानवता मरणोन्मुख है। मैं उन्हें बताता हूँ कि जब कुछ उदासी भरा घटता है, तो वह कई अन्य कारकों से जुड़ा हुआ होता है। और आप जब भी हताश अनुभव करें तो यदि आप परिस्थिति को एक व्यापक दृष्टिकोण से देखते हैं तो वह सदा कम महत्त्वपूर्ण लगता है।"

सेनटेर जॉन मैक्केन ने मंच ग्रहण किया और मानवाधिकार को अमेरिकी न बताकर सार्वभौमिक बताया। वे मनुष्य के रूप में हममें भेद करते हैं, उनका विखंडन या उन्हें हमें दिया नहीं जा सकता क्योंकि वे हमारे हैं। उन्होंने कहा कि, परम पावन ने तिब्बत के न्यायपूर्ण कारण के संघर्ष के लिए अपना जीवन दिया है। अपने दृढ़ संकल्प में वे सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं। यह कहते हुए कि परम पावन के हृदय में तिब्बती बसते हैं और तिब्बतियों के हृदय में परम पावन, उन्होंने जॉन डन का ध्यान १७ उद्धृत किया:

"किसी भी व्यक्ति की मृत्यु मुझे कम करती है क्योंकि मैं मानव जाति में सम्मिलित हूँ और इसलिए कभी यह पता करने न भेजो कि घंटा किस के लिए बज रहा है, वह तुम्हारे लिए बज रहा है।"

यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपने जीवनकाल में चीन और तिब्बत में परिवर्तन देख पाएँगे, परम पावन जो परिवर्तन पहले ही हो चुके हैं उनका उल्लेख किया। उन्होंने चीन को विभिन्न युग की श्रृंखला के संदर्भ में वर्णित किया: माओ चेदोंग के आदर्श की विचारधारा ने देंग जिया ओपिंग के आर्थिक विकास के युग का मार्ग प्रशस्त किया। फिर जियांग जेमिन के युग ने आर्थिक रूप से बेहतर लोगों को शामिल कर पार्टी का दायरा बढ़ाया और बढ़ती असमानता का सामना करते हुए हू जिंताओ ने और सद्भाव की माँग की। शी जिनपिंग का युग पाँचवा होगा। पिछले ४० वर्षों में चीन बहुत अधिक परिवर्तित हुआ है, परन्तु स्थापित सामूहिक नेतृत्व में निहित दृष्टिकोण के कारण आगे और परिवर्तन के लिए समय लग सकता है। उन्होंने कहा:


"मैं आशावान हूँ। हमारे चीन के साथ ७वीं शताब्दी से संबंध हैं। चीन एक बौद्ध देश है और इन दिनों कई चीनी बौद्ध, तिब्बती बौद्ध धर्म में रुचि दिखा रहे हैं। हम तिब्बतियों के पास हमारी अपनी भाषा और लिपि है, जो बौद्ध धर्म की व्याख्या करने के लिए सबसे उत्तम भाषा है।"

नैन्सी पलोसी, जिन्हें कुछ कारणों से सभा में आने में देर हो गयी थी, वहाँ पहुँची और मंच संभाला तो उन्होंने धर्मशाला की यात्रा तथा वहाँ उन तिब्बतियों के साथ बैठक की चर्चा की, जो हाल ही में तिब्बत से बाहर अपनी दु:खद कहानियों के साथ आए थे जिसे उन्होंने झेला था। उन्होंने सेनटेर मैककेन की उपस्थिति देख और परम पावन की राष्ट्रपति बुश और राष्ट्रपति ओबामा दोनों के साथ बैठकों को देख तिब्बत समर्थन के प्रति द्विदलीय प्रकृति को दोहराया। उन्होंने कहा कि परम पावन का अमेरिका के साथ संबंध लंबे समय से है और याद किया कि राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने युवा दलाई लामा को एक घड़ी भेंट में भेजी थी। यह कहते हुए कि "मुझे लग रहा था कि आप यह बात रखेंगी, यह रही।" परम पावन ने सभी को दिखाने के लिए घड़ी सामने रखी।

यह पूछे जाने पर कि उनके बाल्यकाल की सबसे मनचाही शिक्षा क्या थी, परम पावन ने बिना किसी हिचकिचाहट के उत्तर दिया:

"मेरी माँ की ममता। जो भी करुणा का विकास करने में आज मैं सक्षम हो पाया हूँ उसका बीज वही है।"

सात सेनेटरों के साथ मध्याह्न के भोजन के पश्चात परम पावन ने कॉफी और चाय पर सीनेट की विदेश संबंध समिति के साथ भेंट की जिसके बाद उनकी सीनेटर रीड और मैककोनेल के साथ एक बैठक हुई। परम पावन ने टिप्पणी की कि वह हमेशा जानते थे कि संयुक्त राज्य अमेरिका एक महान राष्ट्र था और द्वितीय विश्व युद्ध और कोरियाई युद्ध में लोकतंत्र और कानून के शासन की रक्षा के लिए उसकी भूमिका का स्मरण किया। अमेरिका का केपिटल उनकी मूर्तियों तथा प्रतिमाओं से भरा पड़ा है जिन्होंने उस महानता में योगदान दिया है। दीवारों पर उत्कीर्ण उनके शब्दंों में कॉक्स कॉरिडोर द्वितीय में फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट, जो कुछ ही समय राष्ट्रपति थे जिन्होंने परम पावन के लिए एक घड़ी भेजी थी, के भी शामिल हैं:

"हमें याद रखना चाहिए कि कोई भी उत्पीड़न, कोई अन्याय, कोई घृणा हमारी सभ्यता पर आक्रमण करने के लिए बनाया गया एक कील है।"

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