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परम पावन दलाई लामा द्वारा स्थानीय समाचार एप्लिकेशन का प्रारंभ १०/मई/२०१५

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कांगड़ा, हि. प्र., भारत - ९ मई २०१५ - परम पावन दलाई लामा को आज कांगड़ा, धर्मशाला जहाँ वह रहते हैं, के निकट के प्राचीन शहर में आमंत्रित किया गया था। आगमन पर बालाजी अस्पताल और श्री बालाजी मीडिया नवाचार के संस्थापक, डॉ राजेश शर्मा, और स्थानीय विधायक और हिमाचल प्रदेश सरकार में आवास, नगर एवं ग्राम आयोजना के मंत्री, श्री सुधीर शर्मा द्वारा उनका स्वागत किया गया। परम पावन को अस्पताल के निकट नए मीडिया की इमारत में ले जाया गया जो एक द्विभाषी समाचार Himachalabhiabhi.com एक नए समाचार एप्लिकेशन का स्थान होगा।

एप्लिकेशन को प्रारंभ करने से पूर्व अनिल पटवार ने इसके लिए परम पावन का एक लघु साक्षात्कार लिया और पूछा कि उन्हें क्या लगता है कि आगामी सप्ताह चीन जाने पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी क्या बोलेंगे। उन्होंने उत्तर दियाः


"मुझे पूरा विश्वास है कि एक प्रधानमंत्री के रूप में वे जानते हैं कि उचित क्या है, पर वे भारत और तिब्बत की एक हजार से अधिक वर्ष पुराने अनूठे संबंध का उल्लेख कर सकते हैं। हमारा सब ज्ञान भारत से आया है, इसलिए हमारा गुरु और शिष्य के रूप में एक विशिष्ट संबंध है। आज मैं तिब्बती संस्कृति के संरक्षण को लेकर बहुत चिंतित हूँ जो कि मूल रूप से प्राचीन भारतीय संस्कृति है। हम बुद्ध धर्म का अनुपालन करते हैं और बुद्ध ने भारत में शिक्षा दी जैसा स्वयं प्रधानमंत्री ने दिल्ली में बुद्ध पूर्णिमा समारोह के दिन कहा था। और तिब्बत में हमने जिन परम्पराओं का संरक्षण किया वे नालंदा परम्परा की हैं जिससे हमारा परिचय शांतरक्षित ने कराया।"
"वे पर्यावरण के बारे में भी बात कर सकते हैं, ब्रह्मपुत्र और अन्य नदियों के महत्व पर, जो तिब्बत से निकलती हैं जिन पर एक अरब से अधिक लोग निर्भर हैं।"

यह पूछे जाने पर कि वह किस रूप में आगामी जन्म का चयन करना चाहेंगे, परम पावन ने हँसी में कहा "एक स्त्री के रूप में" और आगे समझाया कि किस प्रकार उन्होंने एक फ्रांसीसी पत्रकार से कहा था कि यह भली प्रकार संभव है कि दलाई लामा एक स्त्री के रूप में जन्म लें। उन्होंने तिब्बत के उच्च स्तरीय अवतारों के उदाहरण दिए जो महिलाएँ थीं।

"व्यक्तिगत रूप से मैं नहीं जानता कि मेरा जन्म कहाँ होगा, पर मैं सदा इस प्रार्थना का स्मरण करता हूँ ः

जब तक है अाकाश स्थित
और जब तक सत्व हैं
तब तक मेरा भी अस्तित्व बना रहे
जगत के दुःखों का नाश करने के लिए

"प्रथम दलाई लामा जो एक महान विद्वान और अभ्यासी थे, जब वह मेरी आयु के हुए और टिप्पणी की, कि वे वृद्ध हो रहे थे तो उनके शिष्यों ने उनसे कहा कि वे संभवतः एक पवित्र भूमि पर जाएँगे। उन्होंने उनसे कहा कि उनकी ऐसी कामना बिलकुल भी नहीं है। वे वहाँ रहना चाहते थे जहाँ वे अन्य लोगों को पीड़ा से छुटकारा दिला सकें।"

यह पूछे जाने पर कि उनके शांति के एक प्रतिनिधि होने के बावजूद, चीनी अधिकारी उनको लेकर इतने शंकाकुल क्यों हैं, उन्होंने कहा कि वे वस्तुओं को मात्र एक राजनीतिक बिंदु से देखते हैं। उन्होंने सांस्कृतिक क्रांति का उदाहरण दिया जिसकी प्रशंसा उस समय हो रही थी जब वह घटी थी। जब वह समाप्त हुई तो उसका वर्णन हुआ कि उसके कुछ लाभ थे और कुछ कमियाँ थीं। काफी समय बाद ऐसा कहा गया, कि वह पूरी तरह से विनाशकारी थी। इससे वस्तुओं के वास्तविक मूल्यांकन की कठिनाई का पता चलता है।

परम पावन ने कहा कि १.३ अरब चीनी लोगंो को विश्वसनीय जानकारी दी जानी चाहिए और यदि उन्हें दी गई तो वे स्वयं निर्णय कर सकेंगे कि क्या सही है और क्या गलत। इसकी तुलना में उन्होंने भारत की एक अनूठे देश के रूप में सराहना की, जहाँ स्वतंत्रता पनपती है। उन्होंने टिप्पणी की कि, जहाँ वह साधारणतया स्वयं को आज जीवित ७ अरब मनुष्यंों में से एक मानते हैं, वे विगत ५६ वर्षों से भारत में रहे हैं।

"मैं भारत का संदेशवाहक हूँ, भारत का एक पुत्र हूँ, लेकिन यदि आप पूछे कि देश के किस भाग में मैंने अपना अधिकतम समय बिताया है, तो वह हिमाचल प्रदेश है। और मैं हिमाचली लोगों का अभिनन्दन करना चाहता हूँ और कामना करता हूँ कि उन्हें सफलता के बाद सफलता मिलती रहे।"


डॉ राजेश शर्मा और श्री सुधीर शर्मा द्वारा घिरे परम पावन ने पोर्टल हब का फीता काटा और उन्हें एक कंप्यूटर डेस्क पर बैठने के लिए आमंत्रित किया गया जहाँ अनिल पटवार ने नए समाचार एप्लिकेशन Himachalabhiabhi.com को प्रारंभ करने में सहायता की।

नीचे लगभग २०० आमंत्रित दर्शकों को संबोधित करते हुए परम पावन ने कहा कि उन्होंने प्रथम बार एक नए एप्लिकेशन का प्रारंभ किया था और वे कंप्यूटर को चालित करने के ढंग से भली भाँति परिचित नहीं थे।

"पर", उन्होंने टिप्पणी की कि "ये २१वीं सदी के समय का एक अंग हैं, एक ऐसा समय जब मैं सोचता हूँ कि लोगों के दृष्टिकोणों में परिवर्तन हो रहा है। लोग संघर्ष के समाधान के लिए हिंसा का उपयोग करने का विरोध कर रहे हैं, वे प्राकृतिक पर्यावरण के बारे में अधिक सोच रहे हैं और अमीर तथा गरीब के बीच की खाई को पाटने के उपाय खोजने के लिए चिंतित हैं। और वे जितना अधिक भ्रष्टाचार को पहचान पा रहे हैं, उतना ही अधिक वे उसका विरोध कर रहे हैं। इसका कारण यह है लोगों की जागरूकता बढ़ गयी है। हम मनुष्यों में एक विशिष्ट गुण, हमारी बुद्धि है और उसे काम में लाने हेतु हमें अधिक और बेहतर जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता है।"

"यह स्पष्ट है कि इस विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले लोकतांत्रिक देश में मीडिया की एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इसमें लोगों को शिक्षित करने की भूमिका भी शामिल है। परन्तु मात्र मस्तिष्क को शिक्षित करना एक सुखी जीवन जीने की कोई गारंटी नहीं देता। हमें लोगों को करुणा, सौहार्दता के विषय में भी शिक्षित करने की आवश्यकता है जो उन्हें एक सुखी समाज में, सुखी परिवार में सुखी व्यक्तियों के रूप में जीने के लिए सक्षम करेगा।"

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