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परम पावन दलाई लामा मिशनरीज ऑफ चेरिटी की यात्रा पर १२/जनवरी/२०१५

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कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत - १२ जनवरी २०१५ -आज की प्रातः ठंड से भरी तथा नभ हल्के मेघों से आच्छादित था जब परम पावन दलाई लामा कोलकाता के लिए उड़ान हेतु दिल्ली हवाई अड्डे पर मोटर गाड़ी से पहुँचे। कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे में आगमन पर उनका सौहार्दता से स्वागत किया गया तथा उन्हें गाड़ी से शहर ले जाया गया।

परम पावन की पहली बैठक कोलकाता में व्यवसाय कर रहे १५० तिब्बतियों के एक समूह के साथ थी, जिनमें श्रीनगर के कुछ ३० मुसलमान भी शामिल थे। उन्होंने उन सबका धन्यवाद किया कि वे उनसे िमलने आए और ल्हासा के अपने बाल्यकाल की एक घटना का स्मरण किया जब एक जेब घड़ी, जो कि १३वें दलाई लामा की थी, की मरम्मत करने की आवश्यकता पड़ी थी। तिब्बती मुस्लिम समुदाय से एक घड़ीसाज़ इसकी मरम्मत करने के लिए आया और जैसे ही उसने युवा दलाई लामा को घड़ी वापस सौंपी, उसने सावधान किया ः "इस जेब घड़ी के स्वामी को उतना ही सावधान रहना चाहिए जितना किसी को अपनी जेब में अंडे रखते हुए रहना होता है।" हर कोई हँस पड़ा।

परम पावन इस बात की भूरि भूरि प्रशंसा कर रहे थे कि किस प्रकार कश्मीर में तिब्बती मुसलमानों ने अपने समुदाय में निर्वासन में आने के ५६ वर्षों बाद भी तिब्बती भाषा को जीवित रखा है। उन्होंने बुजुर्ग पीढ़ी द्वारा इसे सुनिश्चित करने के प्रयासों, अब भी युवा धारा प्रवाह तिब्बती बोलते हैं, के प्रति अपनी सराहना व्यक्त की। उन्होंने उन्हें बताया कि जब वे पश्चिम में निवास कर रहे तिब्बती, जिनमें से कुछ अपने बच्चों से केवल अंग्रेज़ी में बात करते हैं, को संबोधित करते हैं तो उन्हें उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हैं। परम पावन ने स्मरण किया कि संभवतः लद्दाख में अकाल के परिणाम स्वरूप ५वें दलाई लामा के समय में मुसलमान ल्हासा में आकर बसने लगे। उन्होंने उन्हें एक मस्जिद का निर्माण करने के लिए जमीन दी और उन्होंने उसके चारों ओर अपने घर बनाने प्रारंभ किए।

"ये लोग आस्था से मुसलमान थे," परम पावन ने कहा, "परन्तु करुणा की तिब्बती संस्कृति से प्रबल रूप से प्रभावित थे।"

जब वे तिब्बतियों के इस समूह के साथ तस्वीरों के लिए पोज़ कर रहे थे तो उन्होंने तिब्बत में तिब्बतियों द्वारा दिखाई गई स्थिर आत्मिक शक्ति की सराहना की।


इसके बाद परम पावन गाड़ी द्वारा मिशनरीज ऑफ चेरिटी के मुख्यालय गए, जहाँ मदर हाउस में व्यवस्था की सुपीरियर जनरल, सिस्टर मैरी प्रेमा पाइरिक ने उनका स्वागत किया। अंदर जाते हुए उन्होंने शुभचिंतकों का अभिनंदन किया। मदर हाउस, जो मदर टेरेसा की स्मृति को समर्पित एक तीर्थ स्थल है, के अंदर कुछ सौ सिस्टर्स तथा अतिथि माँ की कब्र के आसपास एकत्रित हो उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। जब परम पावन दलाई लामा तथा सिस्टर मैरी प्रेमा मदर टेरेसा की तस्वीर के समक्ष श्रद्धार्पण कर रहे थे तो सिस्टर्स ने स्तुति प्रार्थना का गायन किया।

अपने परिचयात्मक भाषण में सुपीरियर जनरल ने सितंबर २००५ में परम पावन की विगत यात्रा का स्मरण किया और कहा ः

"मदर हाउस में हमारे बीच पुनः परम पावन का होना कितने आनन्द की बात है।"

उन्होंने कहा कि विश्व में पहले की तुलना में शांति की अधिक आवश्यकता है और मदर टेरेसा का उद्धरण देते हुए कहा ः

"शांति एक मुस्कान के साथ प्रारंभ होती है।"

अपने स्वागत कथन में कोलकाता के आर्चबिशप ने उल्लेख किया कि परम पावन का मिशनरीज ऑफ चेरिटी आगमन एक सौभाग्यपूर्ण बात थी और बड़े दिन तथा नव वर्ष के लिए एक सच्चा उपहार था।

"और हम केवल त्योहार के कारण शांति नहीं मना रहे। परम पावन सदैव ही शांति के दूत हैं।"

उन्होंने आगे कहा कि लोगों के लोभ और अविश्वास के कारण संघर्ष से नुचे िवश्व में केवल परम पावन का मुस्कुराता हुआ चेहरा देखना यह जानना है कि शांति संभव है। उन्होंने परम पावन का "अपनी शांति को हम तक लाने के लिए" धन्यवाद किया।

परम पावन ने संक्षिप्त रूप से सभा को संबोधित किया:

"बहनों और भाइयों, मैं यहाँ पुनः आकर बहुत प्रसन्न हूँ, इस बार आपके निमंत्रण पर नहीं, पर इस बार मेरी इच्छा से।"

उपस्थित सभी ने उनकी सहज यात्रा पर हँसी और करतल ध्वनि से अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। परम पावन ने सिस्टर, जिस प्रकार मानवता की विशेष रूप से गरीब से गरीब लोगों की सेवा करती हैं, की सराहना की। उन्होंने उस छोटे से अवसर का भी स्मरण किया जब वे मदर टेरेसा से िमले थे, उन्होंने उन्हें अनुकरणीय व्यक्ति के रूप में वर्णित किया जिन्होंने अपने धर्मार्थ कार्यों के माध्यम से दूसरों के समक्ष प्रेम का सही अभ्यास प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि यद्यपि वह शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं पर उनकी भावना बनी हुई है जिस प्रकार यीशु मसीह और बुद्ध शाक्यमुनि की भावना बनी हुई है। परम पावन ने सभा से आग्रह िकया कि वे उसी भावना से लोगों की सेवा में लगे रहें, विशेषकर गरीबों और जरूरतमंद लोगों की। उन्होंने उपस्थित सभी लोगों से इस पर विचार करने को कहा कि वे इस २१वीं सदी को शांति का एक युग बनाने के उद्देश्य से समूचे ७ अरब मानव परिवार के िलए कार्य कर रहे हैं।

उनके कार्य को लेकर अपनी प्रशंसा को दोहराते हुए परम पावन ने कहाः

"यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी मानवता की सेवा को बनाए रखें। मैं प्रायः अन्य लोगों को बताता हूँ कि िकस प्रकार ईसाई भाइयों और बहनों ने शिक्षा और स्वास्थ्य के विषय में मानवता के लिए सबसे बड़ा योगदान दिया है। मदर टेरेसा ने स्वयं को पूरी सच्चाई से मानवता के िलए समर्पित किया। एक प्रशंसक के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करूँ। गरीबों की सेवा करते हुए, वे अपनी प्रार्थना को वास्तव में कर्म में ढालते हुए व्यावहारिक थीं।"

परम पावन ने मानव मूल्यों और अंतर्धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने के अपनी ही प्रतिबद्धताओं का उल्लेख किया। उन्होंने अपने श्रोताओं को यह भी स्मरण कराया कि यद्यपि उनके जैसे लोग पुरानी पीढ़ी के हैं और निश्चित रूप से लुप्त हो जाएँगे, युवा पीढ़ी को अच्छे कार्य बनाए रखने चाहिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए।


"कृपया मानवता की सेवा के िलए, विशेषकर गरीबों के लिए अपने जीवन को समर्पित करना जारी रखें।"

फिर सुपीरियर जनरल, परम पावन को मदर टेरेसा के सादे कमरे में ले गईं जहाँ उन्होंने पुनः श्रद्धा समर्पित की। मदर हाउस से अपने होटल के लिए प्रस्थान करने से पूर्व परम पावन ने उनकी एक झलक पाने की प्रतीक्षा करते हुए शुभचिंतकों का अभिनन्दन किया और एक प्रतीक्षा करते हुए पत्रकार के प्रश्नों के उत्तर दिए।

कल, परम पावन प्रातः प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय में व्याख्यान देंगे तथा मध्याह्न में कोलकाता चैंबर ऑफ कामर्स को संबोधित करेंगे।

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