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संयुक्त राज्य अमेरिका के सबसे बड़े स्पेनिश टी वी चैनल, टेलिमुंडो के साथ साक्षात्कार २/जुलाई/२०१५

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डलास, टेक्सास, संयुक्त राज्य अमेरिका - २ जुलाई २०१५ - व्यक्तिगत बैठकों की लम्बी कतार के अतिरिक्त आज प्रातः संयुक्त राज्य अमेरिका के सबसे बड़े स्पेनिश टी वी चैनल, टेलिमुंडो के समाचार प्रस्तुतकर्ता एडगार्डो डे विलर ने परम पावन का साक्षात्कार लिया। उन्होंने यह कहते हुए प्रारंभ किया कि अगले सप्ताह परम पावन ८० वर्ष के होने वाले हैं और पूछा, “आप कौन हैं?” उत्तर सीधा थाः

“एक मनुष्य, एक पुरुष, हिम प्रदेश का एक एशियायी, एक बौद्ध भिक्षु और अंत में दलाई लामा ?”


डे विलर ने इसका अनुपालन करते हुए पूछा कि १४वें दलाई लामा होना क्या अर्थ रखता है और उन्हें बताया गया ः

“भारतीय और बौद्ध परम्परानुसार हमारा विश्वास है कि हम एक जीवन के बाद दूसरा जीवन जीते हैं, कि हमारी सूक्ष्म चेतना निरन्तर रहती है। निस्सन्देह, शरीर परिवर्तित होता है और उसके साथ हमारी स्थूल चेतना भी परिवर्तित होती है, पर सूक्ष्म चेतना जारी रहती है।”

यह पूछे जाने पर कि वे अपना पुनर्जन्म कहाँ चाहेंगे, परम पावन ने प्रत्युत्तर में कहा, कि इस चयन हेतु उनके पास आध्यात्मिक शक्ति नहीं है, पर यह कि हममें से प्रत्येक अपने पूर्व जन्म का अवतरित रूप है।
 
इस समाचार पर प्रतिक्रया पूछे जाने पर कि संयुक्त राज्य अमेरिका और क्यूबा एक दूसरे के साथ दूतावासों को फिर से खोल रहे हैं, उन्होंने कहा कि क्यूबा एक पड़ोसी है, और संयुक्त राज्य अमरीका और क्यूबा विश्व का एक अंग हैं और उन्हें एक साथ रहना है। उन्होंने कहा कि आप विचारधारा को लेकर तर्क कर सकते हैं और साथ ही घनिष्ठ संबंध भी बनाए रख सकते हैं। हिंसा के शिकार लोगों को सलाह देने के विषय में प्रश्न किए जाने पर, उदाहरण के लिए, मेक्सिको में, उन्होंने कहा कि अतीत में पहले से ही बहुत हिंसा हो चुकी है और यदि हम एक अधिक शांतिपूर्ण भविष्य में रहना चाहते हैं, तो हमें उसके लिए अभी से बीज बोने होंगे। उन्होंने अपनी आशा का उल्लेख किया, कि यह शताब्दी संवाद की शताब्दी होगी।

सामयिक प्रश्न, समलैंगिक विवाह के बारे में, परम पावन ने अपनी पहली कही बात दोहराई, कि यदि आप किसी धार्मिक परम्परा का पालन करते हैं, तो आपको ध्यान में रखना होगा कि वह धर्म इस विषय पर क्या कहता है। पर यदि आप कोई विश्वास नहीं रखते तो निस्सन्देह, यह आप पर निर्भर है।

समग्र शिक्षा को परिभाषित करने के विषय में पूछे जाने पर परम पावन ने पूछा,

"क्या आप चित्त की शांति खरीद सकते हैं? क्या आप भय को शल्य चिकित्सा अथवा यंाित्रक रूप से दूर कर सकते हैं? हमारे चित्त की शांति को जो नष्ट करता है, वह क्रोध और भय हैं। यदि हम करुणा और प्रेम का विकास करें तो हम क्रोध और भय का मुकाबला कर सकते हैं। तो हमें लोगों को, हमारा चित्त किस तरह काम करता है और हमारी भावनाओं की व्यवस्था के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है।

"विज्ञान हमें वास्तविकता को समझने में सहायता कर सकता है। मैं ३० वर्षों से वैज्ञानिकों के साथ उपयोगी बातचीत में लगा हुआ हूँ। प्रौद्योगिकी भी सहायक है क्योंकि यह हमें निकट लेकर आई है। हमें उसके दुरुपयोग को लेकर सावधान रहना है।

"जर्मन पोप, पोप बेनेडिक्ट, ने सुझाया है कि विश्वास को कारण के साथ मिलना होगा। इस मामले में कारण के रूप में विज्ञान, मस्तिष्क से जुड़ा है, जबकि आस्था का संबंध हृदय से है।"


आंतरिक शांति की खोज में, परम पावन ने कहा कि, हमें अपनी ऐंन्द्रिय और मानसिक अनुभव के बीच अंतर करना होगा। उन्होंने कहा कि यदि हममें चित्त शांति है तो ऐंन्द्रिय विचलन हमें उद्वेलित नहीं करेंगे। पर यदि हमारा ज्ञान केवल ऐंन्द्रिय निविष्ट पर निर्भर है तो चित्त की शांति की खोज कठिन होगी। उन्होंने स्वीकार किया कि धर्म सहायक हो सकता है, क्योंकि हमारी सभी प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का लक्ष्य, उनके अलग दार्शनिक दृष्टिकोणों के बावजूद, चित्त की शांति प्राप्त करना है। पर चूँकि कई लोग हैं जिनकी किसी में आस्था नहीं है, हमें चित्त की शांति प्राप्त करने का एक मार्ग चाहिए जो धार्मिक दृष्टिकोण पर नहीं, अपितु सामान्य ज्ञान, सामान्य अनुभव और वैज्ञानिक निष्कर्ष पर निर्भर करता हो। जब डेल विलर ने पूछा कि पोप फ्रांसिस चित्त की शांति प्राप्त करने के विषय में कैथोलिकों को क्या सलाह दे सकते हैं, उन्होंने कहा कि वह उन्हें अपने अभ्यास में निष्ठावान होने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।

अपने प्रश्नों का केंद्र-बिंदु बदलते हुए, डेल विलर ने स्मरण किया कि १९८७ में परम पावन ने एक पांच सूत्रीय शांति योजना जारी की थी और वह जानना चाहते थे कि उसका क्या हुआ। परम पूज्य उनसे कहा:

'शांति के क्षेत्र का विचार एक दीर्घ काल के लिए था, जो हमें अभी करने की आवश्यकता है वह है तिब्बती संस्कृति और भाषा का संरक्षण, जो बौद्ध समझ के नालंदा परम्परा को समझाने का सबसे अच्छा माध्यम बना हुआ है। पर्यावरण भी महत्वपूर्ण है। हमने एक संवाद प्रारंभ किया पर कट्टरपंथियों ने उसे रोक दिया। शी ज़िनपिंग अधिक यथार्थवादी नेता जान पड़ते हैं पर इस समय वह भ्रष्टाचार से निपटने के लिए एक साहसी कदम उठाने में लगे हुए हैं, जिसकी मैं प्रशंसा करता हूँ।"

२०११ में उनके राजनैतिक उत्तरदायित्वों से सेवानिवृत्त और तिब्बत के तिब्बतियों की प्रतिक्रिया के बारे में, परम पावन ने कहा कि कुल मिलाकर वे उन पर विश्वास करते हैं और इसलिए वे समझ गए कि उन्होंने यह क्यों किया था। उन्होंने उल्लेख किया कि कुछ तिब्बती धार्मिक प्रथाएँ पहले की सामंती व्यवस्था से जुड़ी हुई हैं और उनमें परिवर्तन करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि दलाई लामा के राजनैतिक और आध्यात्मिक नेता की प्रथा, अब तारीख से बाहर है।

इस प्रश्न पर, कि चीन में क्या परिवर्तित हो सकता है, उन्होंने कहा कि १.३ अरब चीनियों को विश्वसनीय जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है और सेंसरशिप गलत है। इस बीच विदेश में रह रहे छात्र वास्तविकता के विषय में जानेंगे और अपने साथ वह ज्ञान घर ले जाएँगे, इसलिए, उन्होंने दोहराया है, सेंसरशिप बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह भी आवश्यक है कि चीनी न्यायिक प्रणाली को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक उठाया जाए। शी ज़िनपिंग ने इस विषय पर बात की है, लेकिन इस व्यवस्था में कट्टरपंथियों ने वास्तविकता की उपेक्षा जारी रखी है। इस बीच में, चीनी बौद्ध, जो उनसे नियमित रूप मिलने आते हैं, रोते हैं और परम पावन से निवेदन करते हैं कि उन्हें न भूलें।

साक्षात्कारकर्ता ने व्यक्तिगत प्रश्नों पर लौटते हुए समाप्त किया। उन्होंने परम पावन से पूछा कि यदि उन्होंने आध्यात्मिक प्रशिक्षण नहीं लिया होता तो वे क्या पढ़ना चाहते, और उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के उत्तर दिया "विज्ञान"। उन्होंने कहा कि यद्यपि अतीत में उन्होंने घड़ियों के पुर्जे खोलने का एक शौक पैदा कर लिया था, पर इन दिनों जब उनके पास समय होता है तो वे धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने और इससे पहले जो उन्होंने पढ़ा है, उसे दोहराना पसंद करते हैं। यह पूछे जाने पर कि वे किस के प्रशंसक हैं, उन्होंने कहा, "मानवता", और टिप्पणी की, कि यदि आप ईश्वर में विश्वास रखते हैं तो ईश्वर का सबसे बड़ा उपहार मानव मस्तिष्क है। परन्तु महत्वपूर्ण बात इसका उचित उपयोग करना सीखना है।

अंत में, इस प्रश्न के उत्तर में कि उन्हें क्या करना सबसे अच्छा लगता है, उन्होंने उत्तर दिया "बात" करना, और आगे जोड़ा कि उनका प्रिय विषय मानवीय मूल्य हैं।

"जब मैं अपना मुँह खोलता हूँ तो हमेशा मानवीय मूल्यों, विज्ञान और बौद्ध दर्शन के बारे में बात करता हूँ।"

यह पूछे जाने पर कि इनमें सबसे महत्वपूर्ण मानवीय मूल्य क्या है तो उन्होंने दृढ़ता से कहाः

"दूसरों के लिए चिंता रखना।"

कल प्रातः परम पावन डलास से लॉस एंजिल्स के लिए रवाना होंगे, जहाँ वे पाँच दिन रहेंगे।
 
 

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