परम पावन 14 वें दलाई लामा
मेन्यू
खोज
सामाजिक
भाषा
  • दलाई लामा
  • कार्यक्रम
  • तस्वीरों में
  • वीडियो
हिंदी
परम पावन 14 वें दलाई लामा
  • ट्विटर
  • फ़ेसबुक
  • इंस्टाग्राम
  • यूट्यूब
सीधे वेब प्रसारण
  • होम
  • दलाई लामा
  • कार्यक्रम
  • समाचार
  • तस्वीरों में
  • वीडियो
  • अधिक
सन्देश
  • करुणा
  • विश्व शांति
  • पर्यावरण
  • धार्मिक सद्भाव
  • बौद्ध धर्म
  • सेवानिवृत्ति और पुनर्जन्
  • प्रतिलिपि एवं साक्षात्कार
प्रवचन
  • भारत में प्रवचनों में भाग लेने के लिए व्यावहारिक सलाह
  • चित्त शोधन
  • सत्य के शब्द
  • कालचक्र शिक्षण का परिचय
कार्यालय
  • सार्वजनिक दर्शन
  • निजी/व्यक्तिगत दर्शन
  • मीडिया साक्षात्कार
  • निमंत्रण
  • सम्पर्क
  • दलाई लामा न्यास
पुस्तकें
  • अवलोकितेश्वर ग्रंथमाला 7 - आनन्द की ओर
  • अवलोकितेश्वर ग्रंथ माला 6 - आचार्य शांतिदेव कृत बोधिचर्यावतार
  • आज़ाद शरणार्थी
  • जीवन जीने की कला
  • दैनिक जीवन में ध्यान - साधना का विकास
  • क्रोधोपचार
सभी पुस्तकें देखें
  • समाचार

अच्छाई के लिए बल और भावनाक्रम १०/जुलाई/२०१५

शेयर

न्यूयार्क, संयुक्त राज्य अमेरिका - ९ जुलाई २०१५- परम पावन दलाई लामा कल एक लंबी तथा विलम्बित उड़ान के अंत में लॉस एंजिल्स से न्यूयॉर्क पहुँचे। एक सुखद रात की नींद से ताजा होने के बाद उनके प्रमुख बैठकों में से एक उनके पुराने मित्र डेन गोलमेन और उनकी पत्नी तारा के साथ थी। वे परम पावन को गोलमेन की नई पुस्तक 'अच्छाई के लिए बल ः हमारे विश्व के लिए दलाई लामा का स्वप्न' भेंट करने आए थे जिसका विमोचन हाल ही में उनके ८०वें जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए हुआ था। पुस्तक परम पावन के व्यापक संदेश, एक बेहतर विश्व के निर्माण में उनके दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य को प्रकट करती है। यह एक ऐसी दृष्टि है, जो व्यक्ति जहाँ कहीं भी हों और जो भी कर रहे हों, उनकी आम मानवता के आधार पर आत्मसात कर सकते हैं।

परम पावन को पुस्तक की प्रति भेंट करते हुए गोलमेन ने कहा, "यह आपके लिए संदेश है", "जिन कुछ लोगों ने इसे पढ़ा है उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि करुणा इतनी शक्तिशाली हो सकती है।"


परम पावन ने उनका धन्यवाद किया और हाल ही में चार्ल्सटन में एक चर्च में हुई गोलीबारी के संदर्भ में टिप्पणी करते हुए कहा, कि केवल प्रार्थना करने या इस अथवा उस की आलोचना करना पर्याप्त नहीं है।

"हमें आंतरिक शांति लाने के लिए एक नए दृष्टिकोण को ढूँढने की आवश्यकता है। जैसा मैं प्रायः कहता हूँ, कि सिर्फ अमेरिका 'मुक्त विश्व' का नेता है और तकनीकी रूप से नवप्रवर्तनशील है, अब इसे शिक्षा और आंतरिक मूल्यों के विकास के विषय में नेतृत्व करने की आवश्यकता है।"

तारा गोलमेन ने परम पावन को 'अच्छाई के लिए बल' के साथी वेबसाइट के बारे में बताया, http://www.joinaforce4good.org/, जिसमें वह सब शामिल है जो पुस्तक में है, पर साथ ही लोगों को अपनी कहानियों और करुणा के कार्यों को साझा करने की अनुमति भी देता है। होमपेज कहता है: "हमें विश्व को प्रकाशित करने में सहायता दो - एक समय पर एक सद्कार्य।" परम पावन प्रसन्न हुए और ठिठोली करते हुए कहा कि विश्व की छवि से निकलती प्रकाश की किरणें, अवलोकितेश्वर की सहस्र नेत्रों के साथ सहस्र भुजाओं के समान हैं। टीम से मिलते हुए जिन्होंने वेबसाइट बनाने में अपना समय तथा कौशल दिया है, उन्होंने उनका धन्यवाद किया कि उन्होंने "न ही धन के लिए, या 'हम' और 'उन' जैसी किसी भावना के साथ, पर इसलिए कार्य किया है , क्योंकि करुणा शांति का आधार है।"

जेविट्स सेंटर में उत्तर अमेरिकी तिब्बती समुदाय के १४,००० से भी अधिक सदस्यों ने परम पावन का स्वागत किया जब परम पावन मंच पर आए जिसके एक ओर उपाध्याय और भिक्षु थे और दूसरी ओर सिक्योंग लोबसंग सांगे, अध्यक्ष पेनपा छेरिंग और मंत्री मंडल के अन्य कई सेवारत और पूर्व सदस्य थे। पृष्ठभूमि में विशाल बुद्ध और नालंदा पंडितों, श्वेत तारा और १००० भुजा वाले अवलोकितेश्वर के थंका शामिल थे।


"मुझसे इस 'भावनाक्रम ' पर प्रवचन देने के लिए कहा गया है", परम पावन ने प्रारंभ किया, "पर मैं साधारणतया आधार के रूप में बौद्ध धर्म के एक परिचय के साथ प्रारंभ करना पसंद करता हूँ। हम कह सकते हैं कि बुद्धधर्म तिब्बत में फला फूला पर लोगों में इसकी समझ बहुत अधिक न थी। यदि आप समझ जाएँ तो अभ्यास सरल हो जाएगा। आज वे वैज्ञानिक भी जो बौद्ध नहीं हैं, प्रतीत्य समुत्पाद जैसे स्पष्टीकरण में रुचि लेते हैं जो वास्तविकता की समझ के लिए बहुत उपयोगी है।

"भावनाक्रम का यह मध्य भाग कमलशील द्वारा लिखा गया, जो शांतरक्षित के निर्देश पर ८वीं शताब्दी में तिब्बत आए थे। उस समय, सम्ये के विभिन्न विभागों में चीनी ध्यान शिक्षक थे जिन्होंने बल दिया कि आध्यात्मिक विकास के लिए अध्ययन महत्वपूर्ण नहीं था। कमलशील ने उनके साथ संवाद किया और उस संवाद की विषय सामग्री को राजा ठिसोंग देछेन के आदेश पर लिखा गया। वह सामग्री 'भावनाक्रम' का आधार बना, शमथ और विपश्यना की व्यापक व्याख्या िलए एक विस्तृत ग्रंथ।"

सत्र का प्रारंभ पालि में मंगल सुत्त के पाठ से प्रारंभ हुआ जिसके पश्चात संस्कृत, चीनी और अंत में, तिब्बती में 'प्रज्ञा हृदय' का पाठ किया गया।

परम पावन ने टिप्पणी की कि बुद्ध एक साधारण मानव के रूप में प्रकट हुए, एक राजकुमार जिसने जन्म, जरा, रोग और मृत्यु के आधारभूत कष्टों को देखने के परिणामस्वरूप एक सन्यासी का जीवन अपनाया। वे छह वर्षों तक तपश्चर्या में लगे रहे, जिसमें प्रचलित ध्यान के रूप भी शामिल हैं, जिसके बारे में उन्होंने अंततः निष्कर्ष निकाला कि वह स्वयं में मुक्ति नहीं देगा।


महायान के अनुसार बुद्ध ने तीन धर्म चक्र प्रवर्तन किए। पहले का संबंध चार आर्य सत्यों से है जो कि सभी बौद्ध परंपराओं में आम हैं। दूसरे में प्रज्ञा-पारमिता की शिक्षाएँ सम्मिलित थीं और तीसरे में चित्त की प्रकृति और बुद्ध प्रकृति की प्रकृति की व्याख्या शामिल थीं।

परम पावन ने समझाया कि उन्होंने सक्या खेंपो सांगे तेनजिन से 'भावनाक्रम' का मौखिक संचरण प्राप्त किया था। उन्होंने इसे खम के एक व्यक्ति से प्राप्त किया था पर उन्हें ज्ञात नहीं कि उन्हें वह किससे प्राप्त हुई। जो ज्ञात है वह यह कि यह तिब्बत में रचे गए सबसे प्रथम बौद्ध ग्रंथों में से एक है, जिसकी रचना ठिसोंग देछेन के अनुरोध पर हुई, जो कि हिम भूमि के तीन धार्मिक राजाओं में दूसरे थे। और यह नागार्जुन के एक अनुयायी, कमलशील द्वारा लिखी गई। परम पावन ने टिप्पणी की कि ध्यान, एक अभ्यास, जो बौद्ध और अबौद्ध परम्पराओं में पाया जाता है, का यहाँ प्रयोग मार्ग के परिचय के रूप में एक सक्रिय अर्थ में प्रयोग किया जाता है।
 
जैसे ही उन्होंने पाठ प्रारंभ किया, उन्होंने ध्यानाकर्षित किया कि मणि मंत्र को बार बार कहना पर्याप्त नहीं है।

"हमें प्रबुद्धता के कारणों व परिस्थितियों को समझने की आवश्यकता है। इसका अर्थ बोधिचित्त का विकास करना है, जिसका स्रोत महाकरुणा है और शून्यता की समझ का विकास करते हुए अपने क्लेशों को आमूल रूप से नष्ट करने की क्षमता है, जिसका मूल, अस्तित्व की वास्तविकता की ग्राह्यता है।

"यदि बुद्धत्व हेतुओं और परिस्थितियों पर निर्भर न होता तो यह प्रत्येक को प्राप्त होना चाहिए, पर चूँकि हेतुओं और परिस्थितियों पर निर्भर है, इसे प्राप्त करना कठिन है।"


मध्याह्न भोजनोपरांत लौटने पर परम पावन ने श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर देने का प्रस्ताव रखा पर कोई भी आगे न आया। ग्रंथ का पाठ जारी रखते हुए उन्होंने कहा, कि प्रश्न यह है कि प्रबुद्धता के हेतु और परिस्थितियाँ क्या हैं। कमलशील ने लिखा कि, वे उन्हें समझाने का उत्तरदायित्व लेते हैं, परन्तु स्वयं की तुलना एक अंधे व्यक्ति से करते हुए, सुझाव दिया कि ऐसा करने के लिए वे बुद्ध के स्वयं के शब्दंो पर निर्भर होंगे।

परम पावन ने वस्तुओं की तीन पहलुओं का उल्लेख किया, कि वे स्पष्ट, छिपी और पूरी तरह से छिपी हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश रूप से विज्ञान जो स्पष्ट है, जो इंद्रियों द्वारा अनुभवजन्य हो, उससे संबंधित है। किचिंत छुपी वस्तु को तर्क के आधार पर समझा जा सकता है, परन्तु पूरी तरह छिपी वस्तु को साक्ष्य के आधार पर समझा जा सकता है। उन्होंने किसी से मिलने और जो वह कह रहा है उसे सुनने और उसकी सराहना करने को स्पष्ट वस्तु की समझ कहा। उनके संकेतों तथा शरीर की भाषा को पढ़ने से हम उनके विषय में और वे क्या कह रहे हैं का अनुमान लगा सकते हैं। पर जब उनके विचारों की गति अथवा वे किस प्रकार कार्य करते हैं, की बात आती है, हमें उनके साक्ष्य पर निर्भर होना होता है। साक्ष्य के स्रोत को प्रमाणित करना फिर एक विशेष महत्व रखता है।

परम पावन ने ग्रंथ का त्वरित पाठ किया और चित्त शोधन, करुणा, उपेक्षा के विकास और दुख की प्रकृति की पहचान की चर्चा की। इसके पूर्व कि वे दिन का प्रवचन समाप्त करते, उन्होंने शमथ व विपश्यना के पहले प्रज्ञा पर एक संक्षिप्त व्याख्या की। उन्होंने सुझाया कि वे दीर्घायु अभिषेक की तैयारी के लिए कल प्रातः तड़के ही प्रारंभ करेंगे। उसके पूर्व वे ग्रंथ का पठन समाप्त करेंगे तथा उत्तर अमेरिकी तिब्बती संघ और हिमालय बौद्ध, मंगोलियाई और रूसी समुदाय परम पावन के लिए एक दीर्घायु समारोह समर्पित करेंगे।

  • फ़ेसबुक
  • ट्विटर
  • इंस्टाग्राम
  • यूट्यूब
  • सभी सामग्री सर्वाधिकार © परम पावन दलाई लामा के कार्यालय

शेयर

  • फ़ेसबुक
  • ट्विटर
  • ईमेल
कॉपी

भाषा चुनें

  • चीनी
  • भोट भाषा
  • अंग्रेज़ी
  • जापानी
  • Italiano
  • Deutsch
  • मंगोलियायी
  • रूसी
  • Français
  • Tiếng Việt
  • स्पेनिश

सामाजिक चैनल

  • फ़ेसबुक
  • ट्विटर
  • इंस्टाग्राम
  • यूट्यूब

भाषा चुनें

  • चीनी
  • भोट भाषा
  • अंग्रेज़ी
  • जापानी
  • Deutsch
  • Italiano
  • मंगोलियायी
  • रूसी
  • Français
  • Tiếng Việt
  • स्पेनिश

वेब साइय खोजें

लोकप्रिय खोज

  • कार्यक्रम
  • जीवनी
  • पुरस्कार
  • होमपेज
  • दलाई लामा
    • संक्षिप्त जीवनी
      • परमपावन के जीवन की चार प्रमुख प्रतिबद्धताएं
      • एक संक्षिप्त जीवनी
      • जन्म से निर्वासन तक
      • अवकाश ग्रहण
        • परम पावन दलाई लामा का तिब्बती राष्ट्रीय क्रांति दिवस की ५२ वीं वर्षगांठ पर वक्तव्य
        • चौदहवीं सभा के सदस्यों के लिए
        • सेवानिवृत्ति टिप्पणी
      • पुनर्जन्म
      • नियमित दिनचर्या
      • प्रश्न और उत्तर
    • घटनाएँ एवं पुरस्कार
      • घटनाओं का कालक्रम
      • पुरस्कार एवं सम्मान २००० – वर्तमान तक
        • पुरस्कार एवं सम्मान १९५७ – १९९९
      • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट २०११ से वर्तमान तक
        • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट २००० – २००४
        • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट १९९० – १९९९
        • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट १९५४ – १९८९
        • यात्राएँ २०१० से वर्तमान तक
        • यात्राएँ २००० – २००९
        • यात्राएँ १९९० – १९९९
        • यात्राएँ १९८० - १९८९
        • यात्राएँ १९५९ - १९७९
  • कार्यक्रम
  • समाचार
    • 2025 पुरालेख
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2024 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2023 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2022 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2021 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2020 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2019 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2018 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2017 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2016 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2015 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2014 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2013 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2012 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2011 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2010 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2009 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2008 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2007 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2006 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2005 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
  • तस्वीरों में
  • वीडियो
  • सन्देश
  • प्रवचन
    • भारत में प्रवचनों में भाग लेने के लिए व्यावहारिक सलाह
    • चित्त शोधन
      • चित्त शोधन पद १
      • चित्त शोधन पद २
      • चित्त शोधन पद ३
      • चित्त शोधन पद : ४
      • चित्त् शोधन पद ५ और ६
      • चित्त शोधन पद : ७
      • चित्त शोधन: पद ८
      • प्रबुद्धता के लिए चित्तोत्पाद
    • सत्य के शब्द
    • कालचक्र शिक्षण का परिचय
  • कार्यालय
    • सार्वजनिक दर्शन
    • निजी/व्यक्तिगत दर्शन
    • मीडिया साक्षात्कार
    • निमंत्रण
    • सम्पर्क
    • दलाई लामा न्यास
  • किताबें
  • सीधे वेब प्रसारण