परम पावन 14 वें दलाई लामा
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परम पावन दलाई लामा का कैलिफोर्निया राज्य विधानमंडल के संयुक्त सम्मेलन को संबोधन २१/जून/२०१६

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सैक्रामेंटो, सीए, संयुक्त राज्य अमेरिका, २१ जून २०१६ - खिली धूप में लॉस एंजिल्स से निकलते हुए वर्ष के सबसे लंबे दिन परम पावन दलाई लामा ने सेक्रामेंटो के कैलिफोर्निया राज्य की राजधानी के लिए उड़ान भरी। हवाई अड्डे से वे लेलैंड स्टैनफोर्ड मेनशन गए वह घर जो मूलतः स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के संस्थापक का है और अब राज्य के आधिकारिक स्वागत का केन्द्र है। महापौर जेरी ब्राउन और उनकी पत्नी ने परम पावन का स्वागत किया। मध्याह्न भोज में सेनेट अध्यक्ष प्रो टेंपोरे केविन डि लियोन, अध्यक्ष एंथोनी रेंडन उनकी पत्नी, और सीनेटर जेनेट गुयेन उनके साथ शामिल हुए।


लेलैंड स्टैनफोर्ड मेनशन से राज्य कैपिटोल की मोटर गाड़ी की यात्रा छोटी सी थी। परम पावन का उत्साहजनक स्वागत करने के लिए पारम्परिक पोशाक में तिब्बती, तिब्बती झंडे और बैनर का स्वागत लिए पर्याप्त संख्या में एकत्रित हुए थे। उन्होंने कैपिटोल की सीढ़ियों से उन्हें देखते हुए नमस्कार किया और उनकी ओर देख हाथ हिलाया।

राज्य विधानसभा में अध्यक्ष ने एक संयुक्त सम्मेलन बुलाया और जोड़ो शिंशु मंदिर, बुद्धिस्ट चर्च ऑफ सेक्रामेंटो के रिनबेन बॉब ओशिटा को दिन की प्रार्थना का नेतृत्व करने हेतु आमंत्रित किया। मंच तक परम पावन के अनुरक्षण के लिए एक समिति नियुक्त की गई। अध्यक्ष ने अध्यक्ष प्रो टेम का परिचय कराया जिन्होंने परम पावन दलाई लामा का परिचय संयुक्त सम्मेलन को दिया। उन्होंने उनके साधारण परिवार में जन्म लेने और किस तरह हाल के दिनों में उनके शांति, अहिंसा, करुणा और अंतर्धार्मिक सद्भाव, साथ ही हमारे प्राकृतिक पर्यावरण के प्रति उनकी चिंता के संबंध में निरंतर संदेश को ध्यान में रखते हुए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार दिए जाने की बात की। उन्होंने टिप्पणी की कि सम्मेलन को सीनेटर जेनेट गुयेन का धन्यवाद करना चाहिए कि उन्होंने उन्हें संबोधित करने के लिए परम पावन को आमंत्रित किया और ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस अस्थिर समय में प्रेम व करुणा आरामदायी वस्तुएँ नहीं अपितु आवश्यकताएँ थीं।

परम पावन ने अपने विशिष्ट रूप से हर किसी से बैठने का आग्रह किया और हँसते हुए समझाया कि वे औपचारिकता को कितना नापसंद करते हैं।

"आदरणीय राष्ट्रपति और आदरणीय अध्यक्ष, भाइयों और बहनों," उन्होंने कहा, "वास्तव में हम सभी मानवता के अंग हैं, एक ही मानव परिवार से संबंधित हैं। मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से हम एक जैसे हैं। सामाजिक प्राणी के रूप में हमें समुदायिक भावना की आवश्यकता है, अतः हमें अपने वैश्विक कल्याण के संदर्भ में सोचने की आवश्यकता है। अपनी देखभाल करना स्वाभाविक है, पर एक सामाजिक प्राणी होने के नाते अपने आपकी सबसे अच्छी देखभाल आपस में एक दूसरे की देखभाल है। मनुष्य के रूप में हमारे समानता के संदर्भ में आस्था, जाति या राष्ट्रीयता के भेद गौण हैं।

"हम एक ही समान पैदा होते हैं और हम उसी तरह मर जाते हैं। हमारे जन्म के पश्चात हमारे अस्तित्व के लिए हमारी मां का स्नेह आवश्यक है। जिस स्नेह का आनंद हम उस समय उठाते हैं वह हमारे बाकी के जीवन के लिए सुरक्षा का स्रोत है। वैज्ञानिक निष्कर्ष बताते हैं कि आधारभूत मानव स्वभाव करुणाशील है। यह आशा का स्रोत है, जो नहीं होता यदि हमारा आधारभूत स्वभाव क्रोध होता। चूँकि हम आशावान हैं कि हम एक अधिक सुखी और अधिक शांतिपूर्ण विश्व बनाने के विषय में सोच सकते हैं। विश्व में शांति केवल चित्त की शांति के आधार पर हो सकती है। एक सुखी जीवन जीना हमारे चित्त पर निर्भर करता है। बहुतायत भौतिक सुविधाएँ अपने आप में सुख की गारंटी नहीं है, जबकि कोई जो गरीब है वह सुखी होगा अगर वह स्नेह से घिरा है। हमें आंतरिक मूल्यों की ओर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है जो कि हमारे सुख की कुंजी है।"


जब हमारे प्रमुख धार्मिक परम्पराओं के बीच संबंधों की बात आती है, परम पावन ने कहा, उन सबमें अधिक करुणाशील मनुष्य बनाने की क्षमता है। उन्होंने समझाया कि सामाजिक प्राणी के रूप में हममें परोपकारिता की एक प्राकृतिक भावना है और मनुष्य के रूप में हम उस परोपकारिता की भावना का विस्तार करने के लिए अपनी बुद्धि का प्रयोग कर सभी सत्वों को गले लगाने में सक्षम हैं। परम पावन ने घोषणा की कि उनकी पहली प्रतिबद्धता स्थायी सुख के एक स्रोत के रूप में मानव मूल्यों के विषय में जागरूकता को बढ़ावा देना है।

उनकी दूसरी प्रतिबद्धता जो उन्होंने समझाई, वह अंतर्धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देना है जिसे उन्होंने भारत में फलते फूलते देखा है जहाँ वे पांच दशकों से अधिक समय से रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि समसामयिक समस्याएँ भड़कती हैं जिसकी १ अरब से अधिक जनसंख्या में आशा की जा सकती है। यद्यपि आज ऐसे लोग हैं जो मुसलमानों को केवल आतंकवाद और हिंसा के संदर्भ में देखते हैं पर परम पावन ने कहा कि उनके कई मुसलमान मित्र हैं जो अत्यंत भले लोग हैं। भारत में स्पष्ट प्रमाण है, उन्होंने दोहराया कि हमारे सभी धर्मों में अच्छे मनुष्य बनाने की क्षमता है। और जिस प्रकार से सभी प्रमुख धार्मिक परम्पराएँ एक हजार से अधिक वर्षों से कंधे से कंधा मिलाकर वहाँ साथ रही हैं, एक उदाहरण है जिससे बाकी विश्व कुछ सीख सकता है।

यह टिप्पणी करते हुए कि कैलिफोर्निया भी एक बहु-जातीय, बहु-सांस्कृतिक समाज है, परम पावन ने विधायकों से विचार करने का आग्रह किया कि किस तरह धार्मिक परम्पराओं के बीच सम्मान और समझ सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कैलिफोर्निया द्वारा पर्यावरण के मुद्दों और जलवायु परिवर्तन के संबंध में किए गए विशेष प्रयास को स्वीकार किया।

"हमें इस ग्रह की रक्षा करना चाहिए," उन्होंने कहा,"क्योंकि यह हमारा एकमात्र घर है। रात्रि के नभ में चंद्रमा बहुत सुन्दर रूप से लटकता है, पर वह ऐसा स्थान नहीं जहाँ हम आराम से रह सकते हों।"

उन्होंने आगे कहा कि चूँकि आज शिक्षा आज काफी सीमा तक भौतिकवादी लक्ष्य लिए हुए है, उस मात्रा में मानव या आंतरिक मूल्यों का अभाव है। उन्होंने सुझाव दिया कि समाधान मानव मूल्यों के प्रति एक अधिक व्यापक दृष्टिकोण की खोज करने में है जो सबको आकर्षित कर सके और इस अथवा उस आस्था से सीमित न की जाए। जैसा परम पावन संदर्भित करते हैं उस अर्थ में धर्मनिरपेक्ष नैतिकता की आवश्यकता है, धर्म निरपेक्ष, धर्म को खारिज करने में नहीं पर धर्म निरपेक्ष उस रूप में जैसा भारत में समझा जाता है। वहाँ शब्द का अर्थ है सभी धार्मिक परम्पराओं के लिए निष्पक्ष सम्मान। परम पावन ने शिक्षा प्रणाली में धर्मनिरपेक्ष नैतिकता के समावेश की सराहना की, ऐसा कुछ जो वे विधायकों से गंभीरता से लेने के लिए आग्रह करते हैं।


"विश्व में सच्ची शांति हमारे हृदयों में शांति होने पर निर्भर करती है। यदि हम क्रोध से भरे हों तो हम किस प्रकार शांति लाने की आशा कर सकते हैं? इस देश में बंदूक नियंत्रण के बारे में बात चल रही है, परन्तु सच्चा बंदूक नियंत्रण यहाँ अपने हृदयों में अन्य के जीवन और उनके अधिकारों के प्रति अधिक सम्मान रखने से प्रारंभ होता है। शांति प्राप्ति के लिए हमें एक ग़ैरफ़ौजीकरण विश्व की आवश्यकता है और बाहरी निरस्त्रीकरण को प्राप्त करने के लिए हमें भीतरी निरस्त्रीकरण के साथ प्रारंभ करना है।

"हमारे विश्व में हम कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। बहुत अधिक हत्या है और धर्म के नाम पर हत्या अकल्पनीय है। चूँकि हम मनुष्यों ने इन समस्याओं का निर्माण किया है, उनके समाधान का उत्तरदायित्व भी हम पर है । २०वीं सदी में हमने बल द्वारा अपनी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया पर अब हमारे और अधिक अन्योन्याश्रित, वैश्विक विश्व में बल प्रयोग तारीख से बाहर है। २१वीं सदी में समस्याओं का एक उचित समाधान संवाद है, एक साथ बैठ और विषयों को लेकर आमने सामने की बातचीत।

"हमें कभी कभी लग सकता कि हम एक व्यक्ति के रूप में अधिक कुछ नहीं कर सकते, लेकिन मानवता व्यक्तियों से बनी है, हम परिवर्तन ला सकते हैं। व्यक्तियों के रूप में हम अपने परिवारों को प्रभावित कर सकते हैं। हमारे परिवार हमारे समुदायों को प्रभावित कर सकते हैं और हमारे समुदाय हमारे देशों को प्रभावित कर सकते हैं। जहाँ भी संभव हो मैं इन विषयों के बारे में बोलता हूँ क्योंकि मनुष्य के रूप में हम एक बेहतर विश्व बनाने के लिए एक साथ कार्य कर सकते हैं। धन्यवाद।"

मंच छोडने से पहले परम पावन ने आगे जोड़ा कि वह लंबे समय से संयुक्त राज्य अमेरिका को मुक्त विश्व का अग्रणी राष्ट्र मानते हैं। इस संदर्भ के भीतर कैलिफोर्निया न केवल संघ के सबसे बड़े राज्यों में से एक है, पर नवीनता के एक प्रमुख केन्द्र रूप में दुनिया भर में प्रशंसित है। उन्होंने विधायकों से शिक्षा में नवीन परिवर्तन पर विचार करने और उसे समर्थन देने का आग्रह किया जो सभी मनुष्यों के सुख और शांति के उद्भव को आगे ला सकती है।

एक तैयार किए हुए लिखित बयान के अंतिम अनुच्छेद में उन्होंने कहा:

"समय आ गया है कि जिस तरह हम अपनी भावी पीढ़ियों को शिक्षित कर रहे हैं उसमें एक वास्तविक परिवर्तन लाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ। हमें चित्त की शिक्षा को हृदय की शिक्षा से जोड़ना है ताकि हमारे बच्चे उत्तरदायी, संवेदनशील नागरिक के रूप में बड़े हों और आज की बढती हुई भूमंडलीकृत विश्व की चुनौतियों का सामना कर सकें।"

परम पावन का सीनेट चैंबर में अनुरक्षण किया गया जहाँ उन्होंने विधायकों के सदस्यों के साथ तस्वीरें खिंचवाईं। साल्ट लेक सिटी उड़ान भरने हेतु, जहाँ कई तिब्बती उनके स्वागतार्थ आए थे, हवाई अड्डे के लिए प्रस्थान करने से पूर्व वे अन्य लोगों से कैपिटल रोटोंडा में एक संक्षिप्त स्वागत समारोह में मिले।

कल मध्याह्न में वे यूटा विश्वविद्यालय में 'कम्पेशन और यूनिवर्सल रेसपांसिबिलिटी' पर एक सार्वजनिक व्याख्यान देंगे।

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