थेगछेन छोलिंग, धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश, भारत - परम पावन दलाई लामा ने आज अपने आवास पर वियतनाम के सीईओ क्लब के ८० सदस्यों से भेंट की, जैसा वे पहले करते आ रहे हैं। एक नए रूप में इंटरैक्टिव वीडियो सम्मेलन लिंक के माध्यम से वियतनाम-हनोई, हाइफोंग, हो ची मिन्ह सिटी/सैगोन और डा नांग के चार शहरों के ३०० और ५०० संख्या का समूह भी भाग ले सका। मंदिरों के बजाय सम्मेलन कक्ष में एकत्रित हुए इन दलों में बौद्ध और युवा दोनों शामिल थे, जो परम पावन की पुस्तकों जैसे 'एथिक्स फॉर द न्यू मिलिनियम' और 'बियोंड रिलिजियन' में सार्वभौमिक मूल्यों की उनकी व्याख्या से प्रेरित हुए हैं। अपने निवास में वे जहाँ बैठे थे, परम पावन एक बड़ी विभाजित स्क्रीन वीडियो प्रदर्शन द्वारा वियतनाम के इन समूहों में से प्रत्येक को देख पा रहे थे।
प्रारंभ में परम पावन ने भैषज्य बुद्ध अनुज्ञा के प्रारंभिक अनुष्ठानों में कुछ समय लगाया।
"आध्यात्मिक भाइयों और बहनों," उन्होंने प्रारंभ किया, "आज मैं यहाँ न केवल आप वियतनामी भाइयों और बहनों से बात कर सकता हूँ, पर उनसे भी जो स्वदेश में अपने शहरों में एकत्रित हुए हैं। यद्यपि वियतनाम में रहते हुए आप लोग शारीरिक रूप से दूर हैं, पर इस समय हम एक समूह के रूप में हम एक साथ हैं। आधुनिक प्रौद्योगिकी की सहायता से न केवल अपने समक्ष के लोगों, अपितु उनसे भी जो दूर हैं, से बात करना मेरे लिए एक नया अनुभव है।
"मैं सदैव ज़ोर देता हूँ कि असीमित मातृ सत्व सभी सुख चाहते हैं और कोई दुःख नहीं चाहता। जहाँ ब्रह्मांड के अन्य भागों में अन्य प्राणी हो सकते हैं, पर मात्र इस ग्रह के प्राणी ही हैं जिनके साथ हमारा एक सीधा संबंध है। आज हम सभी अन्योन्याश्रित हैं। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग, और भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाएँ की भड़काने वाली चुनौतियां, हम सब को प्रभावित करती हैं अतः हमें एक समुदाय के रूप में कार्य करना है।
"आप वियतनामियों ने स्वयं को कठोर तथा दृढ़ साबित किया है। अब आप को समूचे विश्व के संदर्भ में सोचना है, न केवल उन मुद्दों के बारे में नहीं जो वियतनाम से संबंधित हैं।"
उन्होंने उन्हें बताया कि जब हम सुख के विषय में बात करते हैं तो हमें चित्त की शांति के संदर्भ में सोचना चाहिए, जो सुख का वास्तविक स्रोत है। उन्होंने उल्लेख किया कि सभी प्रमुख धार्मिक परम्पराएँ प्रेम तथा स्नेह तथा यह, कि धर्म के नाम पर संघर्ष असंभव है, का संदेश वहन करती हैं। यह सुझाते हुए कि अब २१ सदी में बेहतर होगा यदि अतीत की समस्याएँ न दोहराई जाएँ, उन्होंने कहा कि मानवता के बीच एक नई परिपक्वता के संकेत मिल रहे हैं। उदाहरण के रूप में उन्होंने परमाणु हथियारों को समाप्त करने हेतु नए सिरे से हाल की एक व्यापक इच्छा के संबंध के बारे में बताया।
२५ पंक्तियों का प्रज्ञा पारमिता सूत्र जो साधारणतया 'हृदय सूत्र' के रूप में जाना जाता है, का वियतनामी भाषा में सस्वर पाठ हुआ, जिसके बाद परम पावन ने एक सारांश विवरण दिया कि इसका क्या अर्थ है। उन्होंने कहा कि बुद्ध ने अपने स्वयं के अनुभवों से हमें दिखाया कि कैसे हम भी प्रबुद्ध बन सकते हैं और सूत्र की धारणी, 'गते गते पारगते पारसंगते बोधि स्वाहा' इंगित करती है कि किस तरह इस समय से लेकर सम्यक संबुद्धत्व तक हम विकास कर रहे हैं। इन पंक्तियों का संदर्भ देते हुए कि, 'रूप शून्यता है, शून्यता रूप है', परम पावन ने अपने श्रोताओं को बताया कि नित्य प्रति जो वे स्वयं से कहते हैं वह है, "मैं शून्यता हूँ, शून्यता मैं है।"
उन्होंने सुझाव दिया कि क्वांटम भौतिकी का अवलोकन कि जब तक दृष्टा है, तब तक दृश्य वस्तु है, पर कोई दृश्य वस्तु नहीं होती यदि कोई दृष्टा न हो, चित्त मात्र परम्परा से प्रतिध्वनित होता है। परिणामस्वरूप बौद्ध और आधुनिक वैज्ञानिकों के लिए ऐसे प्रश्नों पर चर्चा करना कि 'दृष्टा क्या है' तथा 'चेतना क्या है? उपयोगी है'। परम पावन ने उल्लेख किया कि नागार्जुन की 'मूलमध्यमकारिका' चीनी भाषा में उपलब्ध है और अंग्रेजी अनुवाद हैं, और सुझाया कि जिनकी रुचि हो उनके लिए अध्याय २६, फिर १८ अध्याय और फिर अध्याय २४ पढ़ना उपयोगी हो सकता है।
परम पावन ने संक्षिप्त भैषज्य बुद्ध अनुज्ञा संचालन करने से पूर्व वियतनामी समूहों द्वारा रखे गए प्रश्नों के उत्तर दिए। इस दौरान उन्होंने पहले छात्रों का बोधिचित्तोत्पाद और उसके बाद बोधिसत्व संवर लेने में नेतृत्व किया।
जब समारोह का समापन हुआ तो वियतनाम के चार समूहों में से प्रत्येक के प्रतिनिधियों ने अलग अलग रूप से परम पावन को उनके द्वारा दिए गए प्रवचन के लिए धन्यवाद दिया और उनके अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए अपनी कामना व्यक्त की।