परम पावन 14 वें दलाई लामा
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अमरीकी कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल का थेगछेन छोलिंग में सौहार्दपूर्ण स्वागत १०/मई/२०१७

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थेगछेन छोलिंग, धर्मशाला, हि. प्र., धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश, भारत - चुगलगखंग के समक्ष का प्रंगण लोगों से खचाखच भरा हुआ था, जिसमें जीवन के सभी क्षेत्रों से आए अधिकांश तिब्बती लोग थे, जो नेन्सी पेलोसी और जिम सेनसेनब्रेनर के नेतृत्व में आए एक अमेरिकी द्विदलीय कांग्रेसी प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करने के लिए उत्सुक थे। प्रतिनिधिमंडल कल दो दिन की यात्रा पर पहुँचा। उन्होंने परम पावन दलाई लामा से भेंट की और उनके साथ मध्याह्न का भोजन किया। दोपहर में उन्होंने टिब्बटेन चिल्डर्नन्स विलेज स्कूल की यात्रा की तथा बाद में मंत्री मंडल और तिब्बती महिला नेताओं से मुलाकात की। शाम को केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन ने उन्हें रात्रिभोज पर आमंत्रित किया और टिब्बटेन इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स (टीआईपीए) ने उनके लिए मनोरंजक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

Members of the bipartisan US Congressional Delegation, His Holiness the Dalai Lama and President of the Central Tibetan Administration Dr Lobsang Sangay arriving at the Tsuglagkhang courtyard to attend a public reception in Dharamsala, HP, India on May 10, 2017. Photo by Tenzin Choejor/OHHDL

ऊपर परम पावन की चार अमरीकी राष्ट्रपतियों के साथ हुई भेंट को चित्रित कर रहे बेनर, जिस पर "संयुक्त राज्य अमरीका धन्यवाद" लिखा था, लहरा रहे थे और मंदिर के नीचे का पोडियम स्नो लॉयन के ध्वजों तथा सितारों और पट्टियों से सुसज्जित था। जैसे ही प्रतिनिधियों ने आकर अपना आसन ग्रहण करना प्रारंभ किया, जनमानस करतल ध्वनि से गूँज उठा। जैसे ही परम पावन और नैन्सी पोलोसी प्रांगण से होते हुए एक साथ गुज़रे तो सभी खड़े हो गए। जब तक तिब्बती राष्ट्रगान का वादन हुआ और अध्यक्ष लोबसंग सांगे ने तिब्बती ध्वज फहराया तब तक सब उसी तरह खड़े रहे। चार गेशे मा और टीपा के गायकों के नेतृत्व में सभी सत्य के शब्दों की प्रार्थना के हृदयस्पर्शी गायन में सम्मिलित हुए।

एक भावपूर्ण उद्घाटन संबोधन में अध्यक्ष लोबसंग सांगे ने परम पावन दलाई लामा के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त की और बल देते हुए कहा कि दलाई लामा और तिब्बती लोग पारस्परिक रूप से अविभाज्य हैं - "जब तक तिब्बत है, अवलोकितेश्वर रहेंगे।" इसके उन्होंने प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के लिए अपना आभार व्यक्त किया, जो उन्होंने कहा कि तिब्बत में रहने वाले तिब्बतियों के लिए प्रोत्साहन का संदेश देता है, जो चीन के लिए न्याय के महत्व का तथा विश्व के शेष भागों में तिब्बतियों के लिए मैत्री और सहयोग का संकेत है।

अध्यक्ष संागे ने नेन्सी पोलोसी के लिए एक राजनीतिज्ञ के रूप में अपनी प्रशंसा व्यक्त की, जो "मात्र बातों तक सीमित नहीं रहतीं" अपितु जो कहती हैं उस पर चलती भी हैं। उन्होंने तिब्बत की उनकी यात्रा का उल्लेख किया, जिस दौरान उन्होंने चीनी अधिकारियों से मुँहफट होकर कहा था कि "परम पावन दलाई लामा विश्व भर के लोगों के सम्मान का पात्र हैं, जिसमें अमरीका भी शामिल है।"

President of the Central Tibetan Administration Dr Lobsang Sangay speaking at the public reception for the bipartisan US Congressional Delegation at the Tsuglagkhang courtyard in Dharamsala, HP, India on May 10, 2017. Photo by Tenzin Choejor/OHHDL

उन्होंने १४७ तिब्बतियों का उल्लेख किया जिन्होंने दृढ़ता के साथ विश्व के समक्ष यह बताने के लिए आत्मदहन किया था कि तिब्बत में कब्ज़ा स्वीकार्य नहीं है और वहाँ का दमन असहनीय है। उन्होंने आगे कहाः

"आप जैसे मित्रों के समर्थन के कारण, जो हमारे मुद्दे को न्यायोचित मानते हैं और समर्थन करते हैं, तिब्बती भावना जीवंत रहेगी। जब परम पावन छोटे थे और राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट ने परम पावन को पत्र लिखा और एक घड़ी भेजी तब से तिब्बत को अमरीकी समर्थन प्राप्त था। २००२ में तिब्बती नीति अधिनियम पारित किया गया था और हम आशा करते हैं कि तिब्बत के लिए एक नए समन्वयक की नियुक्ति शीघ्र ही होगी। आपने हमें वित्तीय सहायता भी प्रदान की जिसके लिए हम कृतज्ञ हैं।"

अध्यक्ष सांगे ने उल्लेख किया कि जैसे अंततः नेल्सन मंडेला स्वतंत्र होकर विचरण कर सके और दक्षिण अफ्रीका में लोकतंत्र बहाल किया, जैसे बर्मा में अंततः आंग सान सू ची मुक्त हुईं और जिस प्रकार उत्तरी आयरलैंड में गुड फ्रायडे समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, वे आश्वस्त थे कि तिब्बत का दिन भी आएगा क्योंकि तिब्बतियों के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य जैसे मित्र हैं। वे इस बात को लेकर आशावान थे कि परम पावन दलाई लामा ल्हासा के मार्ग पर स्वतंत्रता से विचरण करेंगे और पोतल राजभवन के समक्ष कलचक्र अभिषेक प्रदान करेंगे, जो तिब्बती और चीनी बौद्ध समान रूप से ग्रहण करेंगे।

"उस आनन्दपूर्ण दिवस पर, जब तिब्बती लोगों के स्वप्न साकार होंगे और तिब्बत में स्वतंत्रता का नाद गूंजेगा तो हम आपको पुनः सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित करेंगे। हमारे मित्रों के समर्थन के परिणामस्वरूप न्याय तथा स्वतंत्रता कायम होगी। परम पावन दलाई लामा दीर्घायु बनें।"

Representative Jim Sensenbrenner speaking at the public reception for the bipartisan US Congressional Delegation at the Tsuglagkhang courtyard in Dharamsala, HP, India on May 10, 2017. Photo by Tenzin Choejor/OHHDL

रिपब्लिकन प्रतिनिधि जिम सेनसेनब्रेनर, जो विस्कॉन्सिन के ५वें जिले का विगत ३८ वर्षों से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ने व्यक्त किया कि परम पावन की उपस्थिति में बोलने में सक्षम होने पर उन्हें गर्व की अनुभूति हो रही है। उन्होंने जनमानस को आश्वस्त किया कि रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों तिब्बत का समर्थन करते हैं, परम पावन दलाई लामा के प्रति महान सम्मान भावना रखते हैं और तिब्बती लोगों की स्वतंत्र होने की कामना साझा करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि वे धार्मिक स्वतंत्रता और धारणा का समर्थन करते हैं कि जहाँ कोई न्याय नहीं, वहाँ कोई स्वतंत्रता नहीं है।

टीआईपीए के कलाकारों द्वारा महिला सशक्तिकरण गीत के प्रदर्शन को इस टिप्पणी के साथ प्रस्तुत किया गया कि महिलाओं का सशक्तिकरण विश्व के कई भागों में सुख लेकर आया है।

मैसाचुसेट्स के प्रतिनिधि जिम मैकगॉवर्न ने परम पावन को बताया, "हम आप पर विश्वास करते हैं और हम आपके, अध्यक्ष लोबसंग सांगे तथा तिब्बती लोगों के साथ खड़े हैं। हम आपके तिब्बत लौटने, ११वें पनछेन लामा सहित अन्य राजनैतिक बंदियों की रिहाई की आशा करते हैं। और हम अमरीकी सरकार से आग्रह करते हैं कि वे आपसे तथा अध्यक्ष लोबसंग सांगे से नियमित रूप भेंट करते रहें। हम चीनी और तिब्बती प्रतिनिधियों के बीच संवाद का समर्थन करते हैं, यह जानते हुए कि विश्व अपने आप में बेहतर नहीं होगा।"

Representative Jim McGovern speaking at the public reception for the bipartisan US Congressional Delegation at the Tsuglagkhang courtyard in Dharamsala, HP, India on May 10, 2017. Photo by Tenzin Choejor/OHHDL

निर्वासन में तिब्बती संसद के अध्यक्ष, खेनपो सोनम तेनफेल ने अपनी टिप्पणी अंग्रेजी में दी। उन्होंने नैन्सी पेलोसी और प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि तिब्बत में मानवाधिकारों में सुधार नहीं हुआ है। धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन जारी है और तिब्बती भाषा और संस्कृति पर प्रतिबंध बना हुआ है तिब्बतियों को सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जबकि प्राकृतिक पर्यावरण गंभीर क्षति का सामना कर रही है। उन्होंने समाप्त करते हुए कहा कि "हमें आपके समर्थन की आवश्यकता है।"

न्यूयॉर्क के प्रतिनिधि इलियट एंगेल ने एकत्रित हुए लोगों को बताया, "आप लोगों को देख कर अच्छा लगा, ठीक उसी तरह जैसे कल स्कूल में बच्चों को देख कर अच्छा लगा था। हम सभी लोगों के लिए स्वतंत्रता और लोकतंत्र में विश्वास करते हैं - तिब्बतियों के लिए भी। न्यूयॉर्क में, मैं जहाँ से हूँ, स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी स्थित है और जो प्रेरणा के लिए उस मूर्ति की ओर देखते हैं और तिब्बतियों के मन में भी स्वतंत्रता की वही इच्छा है जो बाकी लोगों में है। आत्मनिर्णय बहुत महत्वपूर्ण है। तिब्बतियों को अपना भविष्य निश्चित करने की अनुमति दी जानी चाहिए। अमरीकी लोग आपको नहीं भूलेंगे। जब हम वाशिंगटन लौटेंगे तो आपकी सहायता के लिए जो कुछ हम कर सकते हैं, वह करेंगे।"

सिएटल से प्रतिनिधि प्रमिला जयपाल ने कहा कि इस शिष्टमंडल में सम्मिलित होकर परम पावन और तिब्बती समुदाय से मिलना एक महान सम्मान था। "परम पावन आप शांति और न्याय की आशा रखने वाले विश्वभर के लोगों के लिए एक प्रकाश स्तंभ हैं। मेरा जन्म भारत में हुआ था और इस बुद्ध पूर्णिमा के दिन मैं आपको बताना चाहती हूँ कि मेरे जन्म देश ने तिब्बती समुदाय को जो सहायता प्रदान की है, उस पर मुझे गर्व है। अमेरिकी कांग्रेस में लौटकर हम तिब्बतियों के लिए आवाज उठाएँगे कि वे शांतिपूर्वक अपने धर्म और संस्कृति का पालन कर सकें।"

Artists from TIPA performing a song composed to celebrate His Holiness the Dalai Lama's 80th Birthday at the public reception for the bipartisan US Congressional Delegation at the Tsuglagkhang courtyard in Dharamsala, HP, India on May 10, 2017. Photo by Tenzin Choejor/OHHDL

उसके बाद अपने हाथों में फूलों के गुलदस्ते लिए टीआईपीए के कलाकारों ने, एक गीत प्रस्तुत किया जिसकी रचना परम पावन के ८०वें जन्मदिन पर की गई थी।

प्रतिनिधि नेन्सी पेलोसी ने अपना संबोधन भोट भाषा के किंचित शब्दों से प्रारंभ किया "आप में से प्रत्येक को मैं व्यक्तिगत रूप से 'टाशी देलेग’ कहती हूँ। सम्पूर्ण अमरीका से हम अमरीकी लोगों की ओर से आपके लिए शुभकामनाएँ लाए हैं। हम तिब्बती लोगों की आकांक्षाओं के लिए द्विदलीय समर्थन व्यक्त करते हैं।

"परम पावन एक दूरदर्शी, करुणा के मानव हैं। वह हमें अपनी आशा की भावना, करुणा की शक्ति और लोगों की अच्छाई पर उनके विश्वास से प्रेरित करते हैं। आपमें तिब्बती अस्मिता को संरक्षित रखने हेतु ऐसा दृढ़ निश्चय है। हम आपके तिब्बत लौट कर जाने को लेकर उत्सुक हैं। बेट्टी मैकुलम, जिम मैकगोवर्न और मैं तिब्बत में पोतल गए और प्रार्थना की कि परम पावन वहाँ वापस लौट सकें। हम उनके सभी लोगों के लिए आशा और गरिमा के संदेश से अत्यंत प्रेरित हैं। हमें लगता है कि यदि हम तिब्बत का समर्थन नहीं करते तो हमारा कोई नैतिक अधिकार नहीं है।

Representative Nancy Pelosi speaking at the public reception for the bipartisan US Congressional Delegation at the Tsuglagkhang courtyard in Dharamsala, HP, India on May 10, 2017. Photo by Tenzin Choejor/OHHDL

"मैं चीन में कुछ लोगों से कहती हूँ कि हम आशा करते हैं कि आप वस्तु स्थिति को उचित रूप से देखेंगे। तिब्बत में कुछ अभाव प्रतीत होता है। चीन में कुछ लोग स्वतंत्रता को समझ से बाहर का मानते हैं। हम इसे अपरिहार्य रूप में देखते हैं। हम सफल होंगे।"

अंत में परम पावन को जनमानस को संबोधन करने के लिए आमंत्रित किया गया और उन्होंने भोट भाषा में संबोधित किया।

"आज मैं आप सभी यहाँ एकत्रित तिब्बतियों का अभिनन्दन करना चाहता हूँ, जो आबाल, वृद्ध, भिक्षु और साधारण लोग युवा और बूढ़े यहाँ हैं, वे सब जो यहाँ नहीं हैं अपितु स्वतंत्र देश में रहते हैं और आप में से वे जो तिब्बत में भय तथा चिंता से जीते हैं। पुरातात्विक निष्कर्षों के अनुसार तिब्बत में लगभग ३०,००० वर्षों से तिब्बती रहते आए हैं, सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक। १९५९ में हम में से कई निर्वासन में आए। हम निश्चित रूप से केवल यह जानते थे कि ऊपर नभ और नीचे धरा है। हमें कुछ ज्ञात न था कि हमारा क्या होगा। हम भय और असहजता में रहते थे।

"५८ वर्षों के उपरांत हमने उन लोगों के साथ मित्रता की है जिन्हें हम पहले नहीं जानते थे। लोग आर्थिक या राजनीतिक प्रभाव के कारण हमारा समर्थन नहीं करते, इसलिए नहीं कि हम निर्धन हैं, अपितु इसलिए कि वे न्याय में विश्वास करते हैं। नेन्सी पेलोसी, जो दीर्घ काल से मेरी मित्र रही हैं, के नेतृत्व में संयुक्त राज्य अमरीका का यह प्रतिनिधिमंडल हमारा समर्थन करता है क्योंकि सत्य हमारे पक्ष में है और क्योंकि हम अहिंसक हैं। यहाँ तक कि चीनी लोगों के बीच भी हमारे लिए समर्थन बढ़ गया है, क्योंकि हम पारस्परिक रूप से एक लाभकारी समाधान की खोज कर रहे हैं। दूसरों के लिए स्पष्टता और करुणा, जिनके हम आदी हैं, के कारण हम समर्थन आकर्षित करते हैं।

His Holiness the Dalai Lama speaking at the public reception for the bipartisan US Congressional Delegation at the Tsuglagkhang courtyard in Dharamsala, HP, India on May 10, 2017. Photo by Tenzin Choejor/OHHDL

"बल प्रयोग और शस्त्रों की सहायता से अंततः मानव संघर्ष को हल नहीं किया जा सकता। २०वीं शताब्दी के इतिहासकारों के अनुमान लगाया है कि बल प्रयोग के कारण २०० लाख लोगों की मृत्यु हुई, पर कोई सकारात्मक परिणाम न निकला। अतीत में बल से हम समस्याओं का समाधान नहीं निकाल पाए हैं और हम भविष्य में नहीं करेंगे। लोग सच्चाई, न्याय और अहिंसा की हमारी खोज के कारण तिब्बतियों का समर्थन करते हैं। ये नालंदा परम्परा से निकले हैं, एक परम्परा जो करुणा में निहित है, जिसे हमने १००० वर्षों से भी अधिक समय तक जीवित रखा है।

"सम्पूर्ण नालंदा परम्परा मात्र तिब्बत में ही संरक्षित की गई है। यह कुछ ऐसा है जिसे लेकर हम गौरवान्वित हो सकते हैं और जिसे आज हम दूसरों के साथ साझा कर सकते हैं। जब हम निर्वासन में आए तो हम असहाय लग रहे थे, पर हम विश्व को बड़े पैमाने पर जो योगदान दे सकते हैं वह करुणा के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। और अपने सिद्धांतों पर दृढ़ रहते हुए हम तिब्बत के लिए एक नए दिवस के प्रारंभ में पहुँचेंगे। आपमें से जो कठिनाइयाँ होने के बावजूद हमारे मुद्दे की रक्षा करने के लिए दृढ़ संकल्प रखते हैं, मैं आपकी मैत्री तथा समर्थन के लिए आपका धन्यवाद करना चाहूँगा।"

परम पावन ने आगे समझाया कि यदि हमारा चित्त शांत होगा तो हम न केवल प्रसन्न चित्त होंगे अपितु अच्छे स्वास्थ्य का भी आनंद उठा सकेंगे। उन्होंने कहा कि तिब्बती संस्कृति आंतरिक रूपांतरण पर केंद्रित है। यह अंधविश्वास पर आधारित नहीं है, अपितु वस्तुओं की प्रतीत्य समुत्पाद प्रकृति पर निर्भर है। अनुभव ने उन्हें दिखाया है कि जो पहले के तिब्बतियों ने संरक्षित किया और उसे आगे बढ़ाया, वह एक अद्भुत परमपरा है।

"चीनी लोग हमारे मित्र हो सकते हैं। तिब्बतियों और चीनियों के बीच सद्भाव स्थापित करने के लिए हमें पारस्परिक लाभदायक समाधान तक पहुँचने की आवश्यता है।"

His Holiness the Dalai Lama showing members of the bipartisan US Congressional Delegation part of a statue destroyed in Tibet during the Cultural Revolution as he guides them round the Main Tibetan Temple Dharamsala, HP, India on May 10, 2017. Photo by Tenzin Choejor/OHHDL

सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग के दडोन शर्लिंग द्वारा विस्तृत धन्यवाद ज्ञापित किए जाने के उपरांत परम पावन प्रतिनिधि मंडल को ऊपर ले गए। सर्वप्रथम वे उन्हें कालचक्र मंदिर ले गए, जहाँ उनके उपाध्याय, थोमथोग रिनपोछे के नेतृत्व में नमज्ञल विहार के भिक्षु पूर्ण रूप से निर्मित रेत मंडल से संबंधित कालचक्र प्रार्थना कर रहे थे। वहाँ से वे मुख्य मंदिर गए जहाँ परम पावन ने उन्हें विभिन्न प्रतिमाओं का परिचय दिया। उन्होंने समझाया कि क्षीण 'उपवास बुद्ध' का चित्रण, उन कठिनाइयों का अनुस्मारक है जिनका सामना बुद्ध को प्रबुद्धता प्राप्त करने के लिए करना पड़ा था।

सहस्र भुजा अवलोकितेश्वर की प्रतिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने प्रतिनिधियों को बताया कि सांस्कृतिक क्रांति के दौरान ल्हासा के जोखंग में एक इसी तरह की प्रतिमा नष्ट कर दी गई थी। तिब्बत से कुछ अवशेष उनके पास लाए गए थे और उन्होंने उन दोनों चेहरे को दिखाया। गुरु पद्मसंभव की मूर्ति को इंगित करते हुए उन्होंने समझाया कि किस तरह उपाध्याय, आचार्य और धर्मराज - शांतरक्षित, पद्मसंभव और ठिसोंग देचेन ने ८वीं शताब्दी में तिब्बत में बौद्ध धर्म स्थापित करने के लिए एक साथ कार्य किया था। क्योंकि शांतरक्षित एक तर्कशास्त्री होने के साथ साथ एक दार्शनिक भी थे, अतः प्रारंभ से ही कारण और तर्क के उपयोग तिब्बती बौद्ध धर्म के अभिन्न अंग थे।

उन्होंने इसे उनके अनुसार जो वे बुद्ध के चार पहलुओं के रूप में सोचते हैं, से जोड़ा। वह निश्चित रूप से बौद्ध धर्म के संस्थापक थे, पर वे एक दार्शनिक, एक विचारक और एक वैज्ञानिक की तरह संशयी भी थे। इस कारण उन्होंने अपने अनुयायियों को अनुशंसित किया कि वे जो कुछ भी उन्हें सिखाया गया है, उसे जस का तस के रूप में स्वीकार न करें अपितु तर्क के प्रकाश में उसकी जांच के बाद ही उसे स्वीकार करें। नैन्सी पेलोसी ने बुद्ध की मुख्य प्रतिमा के दोनों ओर रखे हुए ग्रंथों के बारे में पूछा और परम पावन ने उन्हें बताया कि लगभग १०० खंडों में बुद्ध ने जो देशना दी है वह संरक्षित है, जबकि २२५ ग्रंथों में बाद के भारतीय बौद्ध आचार्यों के भाष्य सम्मिलित हैं।

चुगलगखंग से परम पावन और पूरा प्रतिनिधिमंडल चलते हुए उनके आवास पर लौटा। उन्होंने साथ मिलकर चाय का आनंद लिया और उसके बाद प्रतिनिधिमंडल दिल्ली उड़ान भरने हेतु हवाई अड्डे के लिए रवाना हुआ।

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