परम पावन 14 वें दलाई लामा
मेन्यू
खोज
सामाजिक
भाषा
  • दलाई लामा
  • कार्यक्रम
  • तस्वीरों में
  • वीडियो
हिंदी
परम पावन 14 वें दलाई लामा
  • ट्विटर
  • फ़ेसबुक
  • इंस्टाग्राम
  • यूट्यूब
सीधे वेब प्रसारण
  • होम
  • दलाई लामा
  • कार्यक्रम
  • समाचार
  • तस्वीरों में
  • वीडियो
  • अधिक
सन्देश
  • करुणा
  • विश्व शांति
  • पर्यावरण
  • धार्मिक सद्भाव
  • बौद्ध धर्म
  • सेवानिवृत्ति और पुनर्जन्
  • प्रतिलिपि एवं साक्षात्कार
प्रवचन
  • भारत में प्रवचनों में भाग लेने के लिए व्यावहारिक सलाह
  • चित्त शोधन
  • सत्य के शब्द
  • कालचक्र शिक्षण का परिचय
कार्यालय
  • सार्वजनिक दर्शन
  • निजी/व्यक्तिगत दर्शन
  • मीडिया साक्षात्कार
  • निमंत्रण
  • सम्पर्क
  • दलाई लामा न्यास
पुस्तकें
  • अवलोकितेश्वर ग्रंथमाला 7 - आनन्द की ओर
  • अवलोकितेश्वर ग्रंथ माला 6 - आचार्य शांतिदेव कृत बोधिचर्यावतार
  • आज़ाद शरणार्थी
  • जीवन जीने की कला
  • दैनिक जीवन में ध्यान - साधना का विकास
  • क्रोधोपचार
सभी पुस्तकें देखें
  • समाचार

विनय पर दूसरे संवाद के प्रतिनिधियों के साथ बैठक १/जुलाई/२०१८

शेयर

नई दिल्ली, भारत, आज प्रातः परम पावन दलाई लामा ने उन प्रतिनिधियों से भेंट की, जिन्होंने विनय पर दूसरे संवाद में भाग लिया था। इनमें श्रीलंकाई, बर्मी, थाई, वियतनामी, ताइवानी, भारतीय और तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रतिनिधि शामिल थे। सभा में पढ़ने वाली रिपोर्टों में से एक थाई अरण्य भिक्षु की परंपरा के एक वरिष्ठ थेरो की ओर से था, जिन्होंने बैठक की भावना को स्वीकृति दे दी, पर खेद व्यक्त किया कि चूंकि कार्यवाही एक होटल में की जा रही थी, अतः उनके लिए अरण्य भिक्षु के रूप में सम्मिलित होना अनुचित था। फिर भी, उन्होंने बुद्ध द्वारा आनन्द को दिये गये कथन को उद्धृत करते हुए प्रतिनिधियों को प्रोत्साहित किया कि उनकी मृत्यु के बाद, विनय शिष्य की मार्गदर्शिका होगी। उन्होंने आगे कहा कि जब तक विनय बना रहेगा, बुद्ध की शिक्षाएं जीवित रहेंगी।

आगे की रिपोर्टों ने स्पष्ट किया कि उनके विचार-विमर्श में प्रतिनिधियों ने यह स्वीकार किया था कि यद्यपि विभिन्न विनय परम्पराएं विशिष्ट नियमों की संख्या में अंतर होने के कारण भिन्न हो सकती हैं, पर वे विनय के सात मौलिक विभाजन साझा करते हैं। आगे ऐसे और संवादों के लिए प्रस्ताव हैं।

परम पावन ने अपनी स्वयं की स्थिति घोषित करके टिप्पणी की:

"मैं एक भिक्षु हूं, जिसने १९५४ में पूर्ण प्रव्रज्या प्राप्त की और मेरा संबंध नालंदा परंपरा से है, जिसे ८वीं शताब्दी में भारत से तिब्बत लाया गया। मुख्य रूप से इसके लिए उत्तरदायी व्यक्ति शांतरक्षित थे, जो नालंदा विश्वविद्यालय के शीर्ष विद्वानों में से एक, दार्शनिक और तर्कज्ञ थे। उन्हें तिब्बती सम्राट द्वारा आमंत्रित किया गया था। नालंदा परंपरा आस्था के स्थान पर तर्क पर बहुत अधिक बल देती है।

"एक महत्वपूर्ण प्रश्न जो पूछा जा सकता है वह यह, कि क्या बुद्ध की शिक्षाएं जो २६०० वर्ष से अधिक प्राचीन हैं, आज भी प्रासंगिक बनी हुई हैं।

"विगत शताब्दी युद्ध और हिंसा से भरी हुई थी, इसका कारण अधिकतर सोच के पुराने उपाय थे, बल के उपयोग से समस्याओं के समाधान करने के प्रयास की प्रवृत्ति। निरंतर परिणामों में से एक यह है कि जहां हम यहां शांतिपूर्वक एकत्रित हैं, इसी समय कहीं और लोग मारे जा रहे हैं, भुखमरी का शिकार हो रहे हैं या फिर उनके साथ जाति, रंग या नस्ल के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है। इस बीच, सभी प्रमुख धार्मिक परम्पराएं प्रेम, करुणा और क्षमा का संदेश देती हैं। उनमें से प्रत्येक में चित्त की शांति को बढ़ावा देने की क्षमता है, यही कारण है कि मैं उन सभी का सम्मान करता हूँ और धार्मिक सद्भाव को प्रोत्साहित करना चाहता हूं।

"विशेष रूप से प्राचीन भारत की आध्यात्मिक परम्पराओं में शमथ व विपश्यना प्राप्त करने के लिए उपाय अपनाए हैं जिन्होंने चित्त व भावनाओं के प्रकार्य की गहन व सूक्ष्म समझ पैदा की है। बौद्ध धर्म इस ज्ञान के अधिकांश भाग का संरक्षण करता है, जिसको लेकर आज वैज्ञानिक समुदाय में भी बहुत आकर्षण है। और जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया है, विनय सभी बुद्ध की शिक्षाओं की नींव है। उस के आधार पर अज्ञानता को दूर किया जा सकता है और नकारात्मक भावनाओं पर काबू पाया जा सकता है। इसी तरह हम दुःख निरोध को प्राप्त कर सकते हैं।"

परम पावन ने चार आर्य सत्यों तथा ३७ बोध्यांगों की शिक्षाओं के मौलिक महत्व को स्वीकार किया, जो पालि परम्परा में संरक्षित है। परन्तु साथ ही उन्होंने यह भी टिप्पणी की, कि नागार्जुन और आर्यदेव जैसे महान आचार्यों के लेखन, जिन्होंने अपनी अंतर्दृष्टि राजगीर के द्वितीय धर्म चक्र प्रवर्तन पर आधारित की थी, भी चित्त को प्रखर करने के लिए बहुत उपयोगी हैं।

बर्मा, ताइवान और भारत के प्रतिनिधियों ने परम पावन को भेंट प्रस्तुत किए। परम पावन ने बदले में उन वरिष्ठ थेरों को बुद्ध की मूर्तियां भेंट की, जो उनके साथ बैठे थे।

इसके तत्काल बाद, परम पावन ने कैलिफ़ोर्निया में अनाहिम के महापौर टॉम टेट से भी भेंट की, जिन्होंने अपने नगर को दयालुता का नगर घोषित किया है। परम पावन ने महापौर टेट के दृष्टिकोण के लिए अपने उत्साह भरे समर्थन की पुष्टि की जिसके परिणामस्वरूप अनाहिम में अधिक सुखी, अधिक संतोषजनक और अधिक सफल छात्र हैं।

उन्होंने अपने विचार दोहराए कि जहां कई लोग ऐन्द्रिक अनुभव को सुख का प्रमुख स्रोत मानते हैं, वास्तव में यह चित्त की शांति है। जो चित्त की शांति को नष्ट करता है वह क्रोध, घृणा, चिंता और भय है। दयालुता इसका प्रतिकार करता है - और उचित शिक्षा द्वारा हम ऐसी भावनाओं से निपटना सीख सकते हैं।

कल, परम पावन दिल्ली के स्कूलों के लिए सुख के पाठ्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर स्कूल के प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों की एक बड़ी सभा को संबोधित करेंगे।

  • फ़ेसबुक
  • ट्विटर
  • इंस्टाग्राम
  • यूट्यूब
  • सभी सामग्री सर्वाधिकार © परम पावन दलाई लामा के कार्यालय

शेयर

  • फ़ेसबुक
  • ट्विटर
  • ईमेल
कॉपी

भाषा चुनें

  • चीनी
  • भोट भाषा
  • अंग्रेज़ी
  • जापानी
  • Italiano
  • Deutsch
  • मंगोलियायी
  • रूसी
  • Français
  • Tiếng Việt
  • स्पेनिश

सामाजिक चैनल

  • फ़ेसबुक
  • ट्विटर
  • इंस्टाग्राम
  • यूट्यूब

भाषा चुनें

  • चीनी
  • भोट भाषा
  • अंग्रेज़ी
  • जापानी
  • Deutsch
  • Italiano
  • मंगोलियायी
  • रूसी
  • Français
  • Tiếng Việt
  • स्पेनिश

वेब साइय खोजें

लोकप्रिय खोज

  • कार्यक्रम
  • जीवनी
  • पुरस्कार
  • होमपेज
  • दलाई लामा
    • संक्षिप्त जीवनी
      • परमपावन के जीवन की चार प्रमुख प्रतिबद्धताएं
      • एक संक्षिप्त जीवनी
      • जन्म से निर्वासन तक
      • अवकाश ग्रहण
        • परम पावन दलाई लामा का तिब्बती राष्ट्रीय क्रांति दिवस की ५२ वीं वर्षगांठ पर वक्तव्य
        • चौदहवीं सभा के सदस्यों के लिए
        • सेवानिवृत्ति टिप्पणी
      • पुनर्जन्म
      • नियमित दिनचर्या
      • प्रश्न और उत्तर
    • घटनाएँ एवं पुरस्कार
      • घटनाओं का कालक्रम
      • पुरस्कार एवं सम्मान २००० – वर्तमान तक
        • पुरस्कार एवं सम्मान १९५७ – १९९९
      • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट २०११ से वर्तमान तक
        • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट २००० – २००४
        • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट १९९० – १९९९
        • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट १९५४ – १९८९
        • यात्राएँ २०१० से वर्तमान तक
        • यात्राएँ २००० – २००९
        • यात्राएँ १९९० – १९९९
        • यात्राएँ १९८० - १९८९
        • यात्राएँ १९५९ - १९७९
  • कार्यक्रम
  • समाचार
    • 2025 पुरालेख
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2024 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2023 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2022 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2021 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2020 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2019 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2018 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2017 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2016 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2015 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2014 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2013 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2012 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2011 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2010 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2009 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2008 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2007 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2006 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
    • 2005 पुरालेख
      • December
      • November
      • October
      • September
      • August
      • July
      • June
      • May
      • April
      • March
      • February
      • January
  • तस्वीरों में
  • वीडियो
  • सन्देश
  • प्रवचन
    • भारत में प्रवचनों में भाग लेने के लिए व्यावहारिक सलाह
    • चित्त शोधन
      • चित्त शोधन पद १
      • चित्त शोधन पद २
      • चित्त शोधन पद ३
      • चित्त शोधन पद : ४
      • चित्त् शोधन पद ५ और ६
      • चित्त शोधन पद : ७
      • चित्त शोधन: पद ८
      • प्रबुद्धता के लिए चित्तोत्पाद
    • सत्य के शब्द
    • कालचक्र शिक्षण का परिचय
  • कार्यालय
    • सार्वजनिक दर्शन
    • निजी/व्यक्तिगत दर्शन
    • मीडिया साक्षात्कार
    • निमंत्रण
    • सम्पर्क
    • दलाई लामा न्यास
  • किताबें
  • सीधे वेब प्रसारण