परम पावन 14 वें दलाई लामा
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निर्वासन में आने के बाद, मैंने विगत ३० वर्षों में लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित करने के सच्चे प्रयास किए हैं। निर्वासन में तिब्बतियों का कहना है कि "हमारा लोकतंत्र परम पावन दलाई लामा की ओर से एक उपहार है।" दस वर्ष पूर्व दलाई लामा द्वारा उम्मीदवार के नामांकन के स्थान पर, जो सही नहीं थी, लोकतांत्रिक चुनावों के माध्यम से कलोन ठिपा (प्रमुख, मंत्रीमंडल) को चुनने की व्यवस्था प्रारंभ की गई। कलोन ठिपा के सीधे चुनाव के बाद से, आध्यात्मिक और लौकिक दोनों के अधिकार के रूप में दलाई लामा की तिब्बती सरकार की संस्था की व्यवस्था समाप्त हो गई है। तब से मैं स्वयं को अर्द्ध-सेवानिवृत्त रूप में वर्णित करता हूँ।

परम पावन दलाई लामा मुख्य तिब्बती मंदिर में सार्वजनिक प्रवचन के दौरान राजनैतिक उत्तरदायित्व से अपने अवकाश ग्रहण करने पर टिप्पणी करते हुए, धर्मशाला, हि. प्र., भारत, मार्च १९, २०११ (चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल)

तब से दस वर्ष बीत चुके हैं और हमारा एक दिन आएगा जब हमें एक अर्थपूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था का पालन करना होगा। राजाओं और धार्मिक व्यक्तियों का शासन अब तारीख से बाहर है। हमें स्वतंत्र दुनिया की प्रवृत्ति का पालन करना होगा, जो कि लोकतंत्र का है। उदाहरण के लिए भारत अपनी विशाल आबादी और विविध भाषाओं, धर्मों और संस्कृति के बाद भी यह बहुत हद तक स्थिर है। इसका कारण लोकतंत्र, कानून का शासन, स्वतंत्र अभिव्यक्ति और मीडिया है। इसके विपरीत, सत्तावादी शासन के तहत चीन सदैव समस्याओं का सामना कर रहा है। हाल ही में चीनी सरकार के दस्तावेज़ में उल्लेख किया गया था कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा से अधिक आंतरिक स्थिरता बनाए रखने के लिए बजट आवंटित कर रहा है। इससे ज्ञात होता है कि उनके बाहरी शत्रुओं के बजाय आंतरिक दुश्मन अधिक हैं, जो शर्मनाक है।

(चीन का) पीपुल्स रिपब्लिक सरकार को लोगों के कल्याण के लिए काम करना है। अतः लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करना लोकतांत्रिक चुनावों के माध्यम से आना चाहिए। यदि नेता चुनावों द्वारा चुने जाते हैं तो यह वास्तव में गौरव का विषय होगा। पर चुनावों की बजाय बंदूक की नोक पर सत्ता रखना अनैतिक और तारीख से बाहर भी है। अतः एक व्यक्ति का शासन अच्छा नहीं है। अतः यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है, यदि दलाई लामा चरम शक्ति बनाए रखता है। प्रथम चार दलाई लामाओं की अवधि के दौरान दलाई लामा का तिब्बत के आध्यात्मिक और अस्थायी अधिकार के रूप में प्रारंभ नहीं हुआ था। यह पञ्चम दलाई लामा के समय विभिन्न परिस्थितियों में और मंगोल के मुखिया गुश्री खान के प्रभाव में प्रारंभ हुआ। तब से यह व्यवस्था बहुत लाभ लेकर आई है। पर अब जब हम २१वीं सदी में हैं तो अभी या बाद में परिवर्तन का समय निकट है। पर यदि किसी अन्य व्यक्ति के दबाव में परिवर्तन आता है तो यह पूर्व दलाई लामाओं के लिए एक अपमान होगा। पञ्चम दलाई लामा, ङवंग लोबसंग ज्ञाछो के समय से दलाई लामाओं ने तिब्बत का आध्यात्मिक और लौकिक शासन दोनों संभाला है। जैसा कि मैं उस संस्था में चौदहवां हूँ, यह सबसे अधिक उपयुक्त है यदि मैं स्वयं की पहल पर, खुशी और गर्व के साथ दलाई लामा के दोहरे अधिकार को समाप्त करूँ। मेरे अतिरिक्त कोई अन्य यह निर्णय नहीं ले सकता और मैंने अंतिम निर्णय लिया है। तिब्बती लोगों द्वारा लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित नेतृत्व को तिब्बत का सम्पूर्ण राजनैतिक उत्तरदायित्व लेना चाहिए। यदि चार्टर में मुझे राजनैतिक अधिकार का कोई अधिकार दिया जाए तो दोहरी व्यवस्था का कोई रूप शेष रह जाएगा। इसे बदलना चाहिए और लगता है अब ऐसा करने का समय है।

तिब्बती मुद्दे को लेकर मैंने जो बहुत कुछ उपलब्धियां हासिल की हैं, उनके विषय में मैं थोड़ी बात कर सकता हूँ, क्योंकि तिब्बत के अंदर और बाहर तिब्बती लोगों ने मुझ पर विश्वास और आस्था रखी है और विश्व भर में कई लोग हैं जो दलाई लामा को पहचानते हैं, विश्वास और प्यार करते हैं। अतः अब पांचवें दलाई लामा के दौरान स्थापित शासन की दोहरी व्यवस्था को समाप्त करने का सही समय है और आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रथम चार दलाई लामाओं द्वारा अर्जित सर्वसम्मति और मान्यता को बनाए रखना है। विशेषकर तीसरे दलाई लामा को पीले टोपी के साथ विश्वव्यापी आचार्य का सम्मानित नाम प्राप्त हुआ। तो उनकी तरह अपने जीवन के शेष भाग में मैं आध्यात्मिक उत्तरदायित्व जारी रखूंगा।

वैयक्तिक रूप से मैं विश्व में नैतिक मूल्यों और धार्मिक समन्वय को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहा हूँ। ये काफी लाभप्रद साबित हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त मुझे विश्व भर के विभिन्न स्कूलों और विश्वविद्यालयों के कई आमंत्रण मिलते हैं। वे मुझे बौद्ध धर्म प्रचारित करने के लिए नहीं बुला रहे, अपितु यह सिखाने के लिए कि आंतरिक सुख और बौद्ध विज्ञान को किस तरह बढ़ावा दिया जाए, जिसमें कई लोग रुचि ले रहे हैं, और सुनने की इच्छा रखते हैं। इसलिए जब वर्तमान दलाई लामा ऐसी स्थिति में हैं तो यह बहुत गर्व का विषय होगा यदि दलाई लामा के ४०० वर्षों का पुराना आध्यात्मिक और लौकिक अधिकार सहजता से खत्म हो जाए। मेरे अतिरिक्त कोई अन्य पांचवां दलाई लामा द्वारा प्रारंभ किए गए इसे समाप्त नहीं कर सकता और मेरा निर्णय अंतिम है।
हाल ही में मुझे तिब्बत में रहने वाले तिब्बतियों से टेलीफोन आए, जो कह रहे थे कि वे बेहद चिंतित हैं और उन्हें लगता है कि मैं उन्हें छोड़ रहा हूँ क्योंकि मैं अवकाश ग्रहण कर रहा हूँ। चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। अवकाश ग्रहण करने के उपरांत मैं प्रथम चार दलाई लामाओं की भांति आध्यात्मिक विषयों में तिब्बत का नेतृत्व करना जारी रखूँगा। द्वितीय दलाई लामा गेदुन ज्ञाछो की तरह, जिन्होंने दलाई लामा संस्था की स्थापना की और तिब्बत का नेतृत्व सर्वसम्मति जनादेश के साथ किया, मैं भी अपने जीवन के शेष काल में इस तरह का आध्यात्मिक नेतृत्व बनाए रखूँगा। यदि मैं लोगों पर किसी तरह का अपमान न लाऊँ और भविष्य में अच्छे प्रयास करूँ, तो संभवतः मैं आध्यात्मिक नेतृत्व बनाए रखूँगा।
यदि इस तरह का दलाई लामा, जिसके पास आध्यात्मिक मामलों का नेतृत्व करने के लिए सर्वसम्मत जनादेश है, वह राजनैतिक प्राधिकरण को छोड़ता है तो यह हमारे निर्वासन प्रशासन को बनाए रखने में सहायक होगा और इसे और अधिक प्रगतिशील और सशक्त बनाएगा। इसी तरह, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, जो तिब्बती समस्या का समर्थन करते हैं, वह तिब्बती राजनीति के पूर्ण लोकतंत्रीकरण के लिए दलाई लामा की ईमानदारी की सराहना करेगा। यह विश्व में हमारी प्रतिष्ठा को बढ़ाएगा। दूसरी ओर यह चीनी सरकार के कपट और झूठ को खोल कर रख देगा कि दलाई लामा के व्यक्तिगत अधिकारों के मुद्दे को छोड़कर तिब्बत की कोई समस्या नहीं है। तिब्बत में बस रहे तिब्बती लोगों को निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि मैंने एक दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य में तिब्बती लोगों के लाभ को ध्यान में रखते हुए यह उल्लेखनीय निर्णय लिया है। निर्वासन में तिब्बती प्रशासन अधिक स्थिर और प्रगतिशील होगा। तिब्बत में चीनी साम्यवादी के सत्तावादी शासन की व्यवस्था के विपरीत, निर्वासन में हमारा छोटा समुदाय एक पूर्ण आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित करने में सक्षम हुआ है।

एक दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य में यह निर्णय हमारे निर्वासित प्रशासन को सशक्त और कुशल बनाएगा और यदि हम अपने निर्वासन में समुदाय की तुलना चीन में सत्तावादी कम्युनिस्ट शासन के साथ करें तो हम वास्तव में आधुनिक समाज बन गए हैं। यह हमारी शानदार उपलब्धि है। तिब्बत के अंदर तिब्बतियों को इस उपलब्धि पर गर्व होना चाहिए। आप सब को समझना चाहिए और महसूस करना चाहिए कि मैं हताश नहीं हूँ और मैंने तिब्बत को मुद्दे को त्यागा नहीं है।

मैं हिम भूमि का निवासी हूँ। हिम भूमि के सभी छह अरब लोग तिब्बती मामलों का साझा उत्तरदायित्व वहन करते हैं। जहाँ तक मेरा संबंध है मैं भी तिब्बत के अमदो क्षेत्र का एक तिब्बती हूँ, अतः मृत्युपर्यंत मुझ पर तिब्बती समस्या का उत्तरदायित्व है।
जबकि मैं अभी भी स्वस्थ और आप सभी के बीच उपस्थित हूँ, आपको तिब्बती मामलों की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। और अगर कोई समस्या उत्पन्न होती है जिसमें मेरी सहायता की आवश्यकता हो तो निस्सन्देह मैं अभी भी यहाँ हूँ। मैंने न तो छोड़ा है और न ही मैं निराश हूँ। अब तक जिस लोकतांत्रिक व्यवस्था का हमने अनुपालन किया है, सम्पूर्ण उत्तरदायित्व ले सकता है और कई आवश्यकताओं और कारणों पर विचार करने के बाद, मैं लोकतांत्रिक व्यवस्था से पूर्ण उत्तरदायित्व संभालने के लिए कह रहा हूँ। आप सभी यहां उपस्थित और तिब्बत में बस रहे तिब्बतियों को निराश नहीं होना चाहिए। चिंता करने का कोई कारण नहीं है।

कल ही मैं एक चीनी विद्वान से मिला, जिसने मुझे बताया कि वह तिब्बती चुनाव प्रक्रिया पर शोध कर रहा था और यहाँ पांच वर्ष पूर्व भी आया था। उसने मुझे बताया कि इस समय तिब्बती बहुत सक्रियता से भाग ले रहे थे और अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का पूरी तरह से उपयोग कर रहे थे। उन्होंने तिब्बती लोकतांत्रिक व्यवस्था की प्रगति की प्रशंसा की। तो ये विकास हमारी बढ़ती राजनीतिक जागरूकता और हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हुई प्रगति का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए मेरी शक्ति को हस्तांतरित करने का निर्णय भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का एक अंग है।

आप में से जो तिब्बत के लोग हैं, जब आप लौटें तो यदि वहाँ ऐसे लोग हैं जिन पर आप विश्वास कर सकते हैं तो उन्हें ये बताएँ। यह रेडियो पर भी प्रसारित किया जा सकता है। मैंने इस पर पूरी तरह से वर्ष प्रति वर्ष सोच कर और तिब्बत के परम लाभ के लिए अवकाश ग्रहण करने का निश्चय किया है। आप लोगों को निराश होने का कोई कारण नहीं है।

दूसरी ओर, दलाई लामा संस्था को बंद नहीं किया जा रहा है। दलाई लामा संस्था दलाई लामाओं का संगठन है और जब तक मैं जीवित हूँ, मुझे एक छोटी संस्था की आवश्यकता होगी। तो, यह दलाई लामा संस्था बनी रहेगी। जो हो रहा है वह यह कि दलाई लामा संस्था अपनी राजनीतिक उत्तरदायित्वों को त्याग रहा है।

और फिर, आगामी पुनर्जन्म के संबंध में, निश्चित रूप से अभी कोई जल्दी नहीं है। पर २० या ३० वर्षों बाद जब मैं अपने अंत के निकट होऊँगा तो तिब्बती लोगों और साथ ही हिमालय के अन्य क्षेत्रों के लोगों और अन्य बौद्ध जो दलाई लामा से संबद्धित लोगों की इच्छाओं पर निर्भर होकर, यदि वे चाहें तो १५वें, १६वें और १७वें इत्यादि दलाई लामा और आएंगे। अतः दलाई लामा संस्था वैसी की वैसी ही रहेगी। राजनीतिक बदलाव अवश्यंभावी हैं, पर इस तरह का कदम स्थिरता प्रदान करेगा। दलाई लामा संस्था, आध्यात्मिक प्रमुख के रूप में दूसरे, तीसरे और चौथे दलाई लामा के समय की तरह अपनी भूमिका और उत्तरदायित्व की ओर लौट रहा है, के बहुत महत्व और कारण हैं ।

दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य में यदि आप इसके बारे में सोचें तो यह परिवर्तन और निर्णय जो मैं ले रहा हूँ तिब्बतियों के लिए काफी लाभकारी हैं। तिब्बती संसद को अपने पत्र में, मैंने सुझाव दिया कि गदेन फोडंग सरकार नाम बदलना होगा। दलाई लामा संस्था रहेगा पर यह कोई राजनीतिक उत्तरदायित्व न लेगा क्योंकि अब हम एक लोकतांत्रिक प्रतिष्ठान हैं।

भोट भाषा के शब्द 'शुंग' का अंग्रेजी में आवश्यक नहीं कि अनुवाद सरकार के रूप में हो। अपने निर्वासित प्रशासन का वर्णन करने हेतु हम अंग्रेजी शब्द 'सरकार' का प्रयोग उसी रूप में नहीं करते। एक बार दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान, रिनपोछे भी वहाँ थे, एक पत्रकार ने समदोंग रिनपोछे को निर्वासन सरकार के प्रधान मंत्री के रूप में संबोधित किया। तो मैंने तुरंत स्पष्ट किया कि हम तिब्बती 'प्रधान मंत्री' या तिब्बती 'निर्वासन में सरकार' जैसे इन नामों का प्रयोग नहीं करते। हम अपने प्रशासन को केंद्रीय तिब्बती प्रशासन कहते हैं। निस्सन्देह निर्वासन में तिब्बती हैं और हमें उनकी देखभाल करने के लिए एक संगठन की आवश्यकता है। यह प्रशासन का सीधा उत्तरदायित्व है। साधारणतया, हम में से निर्वासन में कुछ, तिब्बती होते हुए, तिब्बत के अंदर तिब्बतियों की आकांक्षाओं को स्पष्ट करने और विश्व को तिब्बत के भीतर की वास्तविक स्थिति बताने का उत्तरदायित्व रखते हैं। हमने अपने प्रशासन को कभी भी तिब्बती निर्वासन सरकार नहीं कहा है। प्रशासन को गदेन फोडंग सरकार कहना एक और बात है। इसलिए, सटीक नाम केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन है जिसके नेता लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित हैं।

वास्तव में, यह तिब्बत के तिब्बती स्वायत्त क्षेत्रों के नेताओं को सोचने हेतु एक कारण प्रदान करता है। निर्वासन में हम यद्यपि विदेशी देशों में शरणार्थियों के रूप में रहते हैं पर हमने एक वास्तविक चुनावी प्रक्रिया अपनायी है। यदि वे नेता वास्तव में सक्षम और आत्मविश्वासी हैं तो तिब्बत के अंदर के तिब्बतियों को अपने स्वयं के नेताओं का लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव करने दें। चीन के बाकी भागों में जो भी मामला हो, यदि हम तिब्बत में निर्वासन प्रणाली का अनुकरण कर सकें तो यह बहुत अच्छा होगा।

अतः मैंने जो कई राजनैतिक परिवर्तन किए हैं वे अच्छे कारणों और हम सभी के लिए तत्काल और परम लाभ पर आधारित हैं। वास्तव में ये परिवर्तन हमारे प्रशासन को अधिक स्थिर बनाएँगे और इसके विकास को श्रेष्ठ करेंगे। अतः निराश होने का कोई कारण नहीं है।

यही मैं आपको समझाना चाहता हूँ।

- परम पावन दलाई लामा की १९ मार्च २०११ को धर्मशाला के मुख्य तिब्बती मंदिर में एक सार्वजनिक प्रवचन के दौरान भोट भाषा में की गई टिप्पणियों से अनूदित।

इस अनुभाग में

  • संक्षिप्त जीवनी
    • परमपावन के जीवन की चार प्रमुख प्रतिबद्धताएं
    • एक संक्षिप्त जीवनी
    • जन्म से निर्वासन तक
    • अवकाश ग्रहण
      • परम पावन दलाई लामा का तिब्बती राष्ट्रीय क्रांति दिवस की ५२ वीं वर्षगांठ पर वक्तव्य
      • चौदहवीं सभा के सदस्यों के लिए
      • सेवानिवृत्ति टिप्पणी
    • पुनर्जन्म
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    • प्रश्न और उत्तर
  • घटनाएँ एवं पुरस्कार
    • घटनाओं का कालक्रम
    • पुरस्कार एवं सम्मान २००० – वर्तमान तक
      • पुरस्कार एवं सम्मान १९५७ – १९९९
    • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट २०११ से वर्तमान तक
      • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट २००० – २००४
      • गणमान्य व्यक्तियों से भेंट १९९० – १९९९
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